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Tokyo Deaf Olympics: राजस्थान की बेटी अनुया प्रसाद ने राज्य का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन कर दिया है। दरअसल वे डेफ ओलंपिक में क्वालीफाई हो चुकी हैं। आइए जानते हैं पूरी जानकारी।

Tokyo Deaf Olympics: प्रतिभा शब्दों की मोहताज नहीं होती, वह खुद चीख कर कामयाबी को बुलाती है। इसका जीता जागता उदाहरण पिंक सिटी की अनुया प्रसाद हैं। दरअसल अनुया एक युवा निशानेबाज हैं। इन्होंने मूक बधिर होने के बावजूद भी ऐसी चुनौतियों पर विजय प्राप्त की है जो अनुभवी एथलीट को भी चौंका देती है। अपनी मेहनत की वजह से ही उन्होंने जापान के टोक्यो में होने वाले डेफ ओलंपिक में जगह बना ली है। अब वें स्वर्ण पदक जीतने की तैयारी कर रही हैं।

पिंक सिटी से वैश्विक मंच तक का सफर 

अनुया का सफर निशानेबाजी में काफी अच्छा रहा है। पिछले साल जर्मनी के हनोवर में हुए विश्व डेफ शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल कंपटीशन में गोल्ड जीता था। यह आम बात इसलिए नहीं है क्योंकि ऐसा करने वाली वह सबसे कम उम्र की निशानेबाज बन गई है। 

भोपाल ट्रायल्स में कड़ी मेहनत रंग लाई 

टोक्यो के लिए क्वालीफाई करना आसान बात नहीं है। उनके मामा किंशुक शर्मा के मुताबिक अनुया ने भोपाल के शूटिंग अकादमी में आयोजित चयन ट्रायल की तैयारी के लिए काफी ज्यादा परिश्रम किया है। टॉप शूटरों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल दोनों श्रेणियों में ही अपना स्थान पक्का किया है। 

अद्भुत कैचिंग पॉवर 

दरअसल अनुया की कैचिंग पॉवर काफी ज्यादा स्ट्रांग है। वे जल्दी से सिखाती है और हर बारिक चीज को काफी जल्दी से पकड़ लेती हैं। सुनने और बोलने में दिक्कत होने के बावजूद भी उन्होंने सामान्य बच्चों के साथ प्रशिक्षण लिया। 10 मीटर एयर पिस्टल में उनका प्रारंभिक प्रशिक्षण हर्षवर्धन सिंह राजावत ने किया और 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल के लिए उन्होंने योगेश शेखावत से प्रशिक्षण लिया। 

अब तक कितने पदक 

वे अब तक 25 पदक जीत चुके हैं। जिसमें 1 स्वर्ण पदक विश्व बढ़िया निशानेबाजी चैंपियनशिप जर्मनी, नौ राष्ट्रीय पदक, 15 राज्य और अन्य प्रतियोगिताओं के पदक शामिल हैं।

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