Rajasthan Native Farming Technique: अक्सर किसानों के सामने एक सबसे बड़ी समस्या फसलों में लगे दीमक की होती है, जिसकी वजह से उनकी महीनों भर की मेहनत बर्बाद हो जाती है। किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए अंत में जाकर रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जिसकी वजह से सब्जियों और फलों में वो रासायनिक पदार्थ चले जाते हैं और वो दूषित हो जाते हैं।
हंसराज करते हैं देशी तकनीक से खेती
नींबू की फसल में दीमक लगने से किसानों को भारी मात्रा में नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों के परिवार का पालन-पोषण भी खेती से होता है। उनकी आय भी इसी पर निर्भर करती है, जिसकी वजह से कई बार किसानों को उधार भी लेना पड़ता है। लेकिन अब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए किसान हंसराज गुर्जर ने एक तकनीक को अपनाया है।
हंसराज गुर्जर ने बताई देशी तकनीक
बता दें कि ये राजधानी जयपुर के शहर विराटनगर के निवासी हैं, जिनकी आयु 30 वर्ष है और जो 12वीं उत्तीर्ण हैं। इनसे आस-पास से ही नहीं बल्कि दूरदराज जगहों से भी किसान नवाचार, कम पानी में खेती की विधि और साथ ही फसलों के रोगोपचार सीखने के लिए आते हैं। हंसराज अपने देशी तकनीक से खेती करने के लिए जाने जाते हैं।
हंसराज गुर्जर से देशी तकनीक से फसल उगाने पर बताया कि उन्होंने 20 बीघा की जमीन में करौंदा, बेलपत्र, नींबू बोया है। इसके साथ ही ये भी बताया कि करौंदा और बेलपत्र के पेड़ों में कोई रोग नहीं लगता है, जिसकी वजह से उनमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाता है।
दीमक से कैसे बचाएं नींबू को
नींबू में दीमक समस्या सबसे अधिक होती है, जिसकी वजह से उन्होंने नींबू को दीमक से बचाने के लिए एक देशी तकनीक की विधि को अपनाया है। इस विधि में नींबू के पौधों की जड़ों के आस-पास खुदाई करके जड़ों के बालों के गुच्छों जैसे जाले को निकाला जाता है। इसके बाद नींबू के पौधे की जड़ों में गोबर की खाद के साथ नीम की पत्तियां डाल दी जाती हैं। ये प्रक्रिया छह महीने में एक बार अवश्य करनी चाहिए।
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