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No Plastic Villages: राजस्थान में स्वच्छता की तरफ एक और कदम उठाए जा रहा है। अब राज्य के हर गांव को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा। आइए जानते हैं इससे जुड़ी हुई सभी बातें।

No Plastic Villages: राजस्थान में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम उठाए जा रहा है। दरअसल गांधी जयंती के मौके पर सभी ग्रामीण क्षेत्रों में पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया जाएगा। इस अभियान के अंतर्गत स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और गांव से प्लास्टिक को हटाने में सामुदायिक भागीदारी की जाएगी।

स्वच्छता राज्य की नीति का मूल 
 
अभी हाल ही में पंचायती राज भवन में एक विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित हुई थी। उसे बैठक में राज मंत्री मदन दिलावर ने इस बात पर जोर दिया कि स्वच्छ ग्राम सरकार की मूल नीति का एक बहुत जरूरी हिस्सा है। इसी के साथ उन्होंने यह निर्देश भी दिए कि हर गांव की पंचायत में नियमित और प्रभावी सफाई की जाए। 

राज मंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि जहां निविदाएं पहले से ही अंतिम रूप दे दी गई है वहां सफाई का काम 1 अगस्त से शुरू हो जाना चाहिए और जहां निविदाएं लंबित है वहां प्रक्रिया तुरंत पूरी हो जानी चाहिए। 

अधिकारियों की जवाबदेही 

मंत्री अपने स्वच्छता परियोजनाओं में देरी पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि स्वच्छता के संबंध में किसी भी तरह के लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसी के साथ उन्होंने अधिकारियों को गांव में निरीक्षण करने और रात भर रूकने की भी जिम्मेदारी याद दिलाई। 

प्लास्टिक कैसे पहुंचाता है पर्यावरण को नुकसान 

आपको बता दें कि प्लास्टिक बैग और रैपर सैकड़ों वर्षों तक विघटित नहीं होते। मिट्टी में दब जाने पर वह पानी और पोषक तत्वों के प्रवेश को अवरुद्ध करते हैं जिस वजह से कृषि उत्पादकता प्रभावित होती है और भूमि की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचता है। इसी के साथ गांव में गाय, भैंस और कुत्ते जैसे जानवर अक्सर अनजाने में प्लास्टिक कचरे को भोजन समझ कर खा लेते हैं। जिस वजह से उनकी आंतों में रुकावट और मृत्यु तक हो जाती है। इसी के साथ कुछ लोग प्लास्टिक को जला देते हैं जिस वजह से डायोक्सीन और फ्यूरान जैसी गैस निकलती है। यह गैस स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, कैंसर और अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है।

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