Jaipur Govt Hospital: जयपुर में पहली बार गर्भवती महिलाओं के लिए सरकारी अस्पतालों में एम्नियोसेन्टेसिस प्रोसीजर की शुरुआत की गई है। शहर के सांगानेरी गेट के पास स्थित महिला अस्पताल में गर्भ में पल रहे बच्चे में जन्म से पहले ही रेयर डिजीज का पता लगाया जा सकेगा।
क्या है एम्नियोसेन्टेसिस प्रोसीजर?
एम्नियोसेन्टेसिस प्रोसीजर के माध्यम से जांच के दौरान यह पता लगाया जा सकेगा कि गर्भस्थ शिशु की नाक की हड्डी है या नही। साथ ही हार्ट में कैल्शियम डॉट को भी पता लगाया जा सकेगा। एम्नियोसेन्टेसिस प्रोसीजर से बच्चे में जन्म के बाद होने वाली किसी भी असामान्यता की पुष्टि की जा सकेगी। इसके माध्यम से गर्भ के लिए गए फ्लूड की क्रोमोसोम और अन्य स्टडी की जाएगी।
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निजी अस्पतालों में महंगा पड़ता है इलाज
दुनिया में दस हजार में से एक व्यक्ति को रेयर डिजीज होती है। कई प्रकार की रेयर डिजीज के बच्चों की उम्र 15 साल से कम होती है। ऐसे में इन डिजीज की जांच करने के लिए एम्नियोसेन्टेसिस प्रोसीजर किया जाता है। यह प्रक्रिया निजी अस्पतालों में काफी महंगी होती है, जिसके कारण से गरीब या मध्य वर्ग के लोग इसकी जांच नहीं करा पाते हैं। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में इस सुविधा से लोगों को काफी मदद होगी।
स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का मिलेगा विकल्प
सरकारी अस्पतालों में जेनेटिक सेंटर खुलने से लोगों को गर्भस्थ बच्चों में गंभीर बीमारियों का पता आसानी से हो सकेगा। साथ ही इसकी मदद से माता पिता के पास विकल्प होगा कि वे स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके। जेके लोन अस्पताल के डॉ. प्रियांशु माथुर ने जानकारी दी कि इसकी मदद से गर्भ में बच्चे में रेयर डिजीज का पता लगाया जा सकेगा। फिटर मेडिसिन व जेनेटिक विशेषज्ञ डॉ. रेखा गुप्ता ने कहा कि सरकारी अस्पताल में यह राहत भरा कदम है।
इस संबंध में एसएमएस मेडिकल कॉलेज की डॉ. दीपक माहेश्वरी ने कहा कि महिला अस्पताल में पहली बार एम्नियोसेन्टेसिस प्रोसीजर किया गया है और यह बड़ी सफलता है। इससे गर्भ में ही बच्ची की गंभीर बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। इस दिशा में और भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।