Rajasthan Discom: राजस्थान में आमजन के लिए अच्छी खबर सामने आई है। राज्य के तीनों बिजली वितरण कंपनियों के 33/11 केवी के 2332 जीएसएस पर अब निजीकरण यानी हेम मॉडल लागू नहीं किया जाएगा। निजी कंपनियों के भाग नहीं लेने से ऊर्जा विभाग ने यह फैसला एक माह पहले ही ले लिया था।
कुसुम स्कीम के तहत लगाए जाएंगे 6500 सोलर प्लांट
इस बात का खुलासा तब हुआ जब तीनों डिस्कॉम ने कृषि और घरेलू फीडर अलग-अलग करने के लिए चार हजार करोड़ के टेंडर पिछले दिनों जारी किया था। साथ ही केंद्र सरकार की ओर से कुसुम योजना के तहत प्रदेश में कुल 6500 सोलर प्लांट स्थापित किए जाएंगे।
इसके लिए सरकार टेंडर जारी कर ग्रामीण इलाकों के अधिकांश जीएसएस के पास सोलर प्लांट स्थापित करने की योजना बना रही है। प्लांट के लिए सब्सिडी दी जाएंगी। साथ ही बिजली का सीधे ग्रिड से वितरण किया जाएगा। इससे प्रदेश में लोगों को सस्ती बिजली मिल सकेंगी। बता दें कि जोधपुर डिस्कॉम में 1400 मेगावाट का प्लांट लगाया जाएगा। वहीं जयपुर में 3600 व अजमेर में 1500 मेगावाट के सोलर प्लांट स्थापित किए जाएंगे।
पूरी तरह से बंद हुई हेम की प्रक्रिया
गौरतलब है कि पिछले साल राज्य में हाइब्रिड एन्युटी मॉडल यानी हेम की प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिसे अब पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया गया है। दरअसल, तीन से चार बार बिड का टाइम बढ़ाने के बाद भी बड़े प्लेयर व निजी कंपनियों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया, जिसके कारण सरकार की ओर से यह फैसला लिया गया है।
क्यों फ्लॉप हुआ मॉडल?
इसके पीछे की दूसरी बड़ी वजह है कर्मियों का विरोधा। दस साल के लिए निजी हाथों में दिए जाने वाले इस मॉडल का पहला उपयोग राजस्थान में किया गया था। जीएसएस के पास सोलर प्लांट लगाने के लिए जमीन भी निजी कंपनियों को स्वयं के स्तर पर लेनी थी, जिसके कारण यह मॉडल फ्लॉप हो गया।