Unique Shiva Parvati Temple in Rajasthan : राजस्थान के करौली जिले में भगवान शिव का एक अद्भुत मंदिर है। ये मंदिर तकरीबन 500 साल प्राचीन है। हिण्डौन में महादेव का ये अनूठा मंदिर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। अमूमन हर शिव मंदिर में महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान रहते हैं पर इस पीरिया की कोठी पर स्थित नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में शिव और पार्वती को एक साथ नंदी पर विराजमान देखा जा सकता है। इस क्षेत्र के रहने वाले अपने आराध्य को आस्था और अति प्रेम से दूल्हेराजा के नाम से संबोधित करते हैं। इसी कारण ये मंदिर जनमानस के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
विवाह की कामना पूरी करते हैं शिव पार्वती
भक्तों की ये मान्यता है कि नंदी पर विराजमान शंकर और पार्वती की युगल मूर्ति उनके विवाह प्रसंग का प्रतीक है। ये प्रसंग उस समय को परिलक्षित करता है जब भगवान शिव अपने विवाह के पश्चात् मां पार्वती को नंदी पर बैठाकर हिम नरेश के यहां से अपने कैलाश धाम ले जा रहे थे। ऐसा कहा जाता है यहां पर अविवाहित युवक युवतियां शिव पार्वती की इस युगल जोड़ी की पूजा आराधना करके अपने विवाह के लिए मन्नत मांगते हैं।
शिव पार्वती का होता है अद्भुत श्रृंगार
यहां प्रत्येक सोमवार को शिव व माता पार्वती की युगल प्रतिमा का मुकुट पहनाकर अद्भुत श्रृंगार किया जाता है। शादीशुदा स्त्रियां अपने पति व वैवाहिक जीवन की सुख सलामती के लिए दूल्हे राजा महादेव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं। सावन माह में इस शिवालय में भक्तों की अपार भीड़ होती है। महादेव और गौरी की युगल प्रतिमा का विशिष्ट अभिषेक तथा बिल्वपत्रों से अद्भुत श्रृंगार किया जाता है।
500 वर्ष पुराना मंदिर
जलसेन तालाब के किनारे पीलिया की कोठी पर स्थित ये मंदिर नर्मदेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है जिसकी प्राचीनता के विषय में कहा जाता है कि ये शिवालय 500 साल पुराना है। इस मंदिर में विराजमान सफेद पत्थर से बनी शिव पार्वती की युगल प्रतिमा को संत सिद्ध बाबा ने स्थापित किया है। कहा जाता है कि ये प्रतिमा पहले खुले स्थान पर ही एक छतरी के नीचे स्थित थी जिसे बाद में भक्तों ने मंदिर प्रांगण का स्वरूप दिया। यहां भी शिव पार्वती की युगल मूर्ति छतरी के नीचे ही स्थापित है।
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