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Rajasthan History: उदयपुर के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम साल 1913 में जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड हुआ था। इस घटना में 1500 से ज्यादा लोगों को अपनी जान देनी पड़ी थी।

Rajasthan History: जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारें में हम सभी को पता है, पंजाब के अमृतसर में हुई इस घटना ने 400 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। लेकिन काफी कम लोगों को मालूम हैं कि ऐसी ही घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से करीब 6 साल पहले राजस्थान के उदयपुर के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम में हुई थी। तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने यहां जलियांवाला बाग जैसे ही बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया था। मेले में घूमने आए हजारों वनवासियों पर ब्रिटिश सरकार ने जमकर गोलियां बरसाई थी। इस घटना में 1500 से ज्यादा लोगों को अपनी जान देनी पड़ी थी। 

मानगढ़ हत्याकांड

जिले में एमपी व गुजरात की बॉर्डर पर स्थित मानगढ़ धाम वन वासियों के बलिदान का साक्षी है। हर साल यहां वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता था। साल 1913 में भी यहां मेला आयोजित किया गया था, इस दौरान वन वासियों के नेता गोविंद गुरु के कहने पर अकाल खेती पर सरकार द्वारा लिए जा रहे कर के खिलाफ हजारों वनवासी इकट्ठा हुए थे। साथ ही धार्मिक परंपराओं को मानने की छूट और बेगार के नाम पर परेशान करने के खिलाफ कई महिलाएं व बच्चे भी मेले में एकजुट हुए थे। अंग्रेजी शासन ने इस मामले पर सुनवाई करने के बजाय मानगढ़ धाम को चारों तरफ से घेर कर तोपें चलाने का आदेश दिया था। 

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अपनी मांग पर अड़े रहे गोविन्द गुरु 

सरकार द्वारा गोविन्द गुरू व वनवासियों को पहाड़ी छोड़ने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन वे सभी अपनी मांग पर अड़े रहे थे। इसपर ब्रिटिश सरकार के आदेश पर कर्नल शटन ने सभी लोगों पर गोलीबारी करना शुरू कर दिया और हजारों वनवासी की जान ले ली। कई जगह मौत का आंकड़ा पंद्रह सौ बताया जाता है तो कई किताबों में यह दो हजार बताया गया है। इसके बाद सरकार की ओर से नेता गोविन्द गुरु को फांसी की सजा सुनाई गई, हालांकि बाद में उनकी इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। साल 1923 में वे जेल से रिहा हुए और भील सेवा सदन के जरिए लोक सेवा करते रहे।

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