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Raksha Bandhan Mehrangarh Fort: मेहरानगढ़ किले में राजनीतिक गठबंधन का प्रतिक राखी बनी। जिसमें रक्षा बंधन के अनसुने किस्सों ने इतिहास के रहस्य उजागर किए।

Rajasthan Fort: राजस्थान को संस्कृति और इतिहास के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। राजस्थान के इतिहास में कुछ ऐसे अनसुने किस्से हैं, जिन पर से आज कर पर्दा नहीं हटाया गया है। राजस्थान के इतिहास के पन्नों में आज भी वो रणनीतियां, कहानियां छिपी हुई है। इनमें से कुछ रहस्यों और किस्सों पर से तो पर्दा उठा दिया गया। इन किस्सों की गूंज आज भी इतिहास के पन्नों से आती है, इस कहानियों में कई परंपराओं का भी जिक्र मिलता है। इन परंपराओं को आज भी राजस्थान के राजपूत समाज के द्वारा निभाया जाता है। 

मेहरानगढ़ किले में रक्षाबंधन का किस्सा

राजस्थान के राजपूत समाज में रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं, बल्कि यह राजनीतिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत किए जाने का भी एक पर्व है। बता दें कि पहले राजस्थान की रानियां के द्वारा अपने भाइयों को राखी बांधी जाती थी और बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देते थे। इसके साथ ही ये त्योहार उस समय इसलिए भी खास हो जाता था कि वो इस त्योहार के माध्यम से अपने आस-पास के शासकों के साथ संबंधों को मजबूत बनाते थे। उस समय राखी एक संबंधों को बेहतर बनाए रखने का सबसे अच्छा विकल्प थी।

राखी में राजनीतिक संबंधों को मजबूत 

बता दें कि 1459 में राव जोधा के द्वार राजस्थान के मेहकानगढ़ किला बनवाया गया था, जो राठौड़ वंश की शक्ति और भव्यता के साथ परंपराओं का प्रतिक है। वहीं राज शाह धरानों की रानियां रक्षाबंधन के दिन सजे हुए दरबारों में राखी बांधती थी। इस पवित्र त्योहार में शाही समारोह भी आयोजित किया जाता था। जिसमें दरबारियों से लेकर उच्च अधिकारी तक सभी लोग शामिल होते थे। मेहरानगढ़ किला जो एक युद्ध का गढ़ नहीं था, बल्कि यह त्यौहार राजस्थान की संस्कृति का एक हिस्सा है। ये परंपराएं आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते हुए आ रहे हैं।

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