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Mangi Bai: राजस्थान के नागौर जिले के सांवतगढ़ की लोग देवी मांगी बाई भगवान की परम भक्त थी और ईश्वर के प्रति इस भक्ति ने उन्हें लोक देवी बना दिया। सावंतगढ़ से लगभग तीन किमी की दूरी पर बना यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।

Mangi Bai: भगवान की साधना में लीन होकर एक साधारण इंसान भी लोगों के लिए लोक देवी या देवता बन सकता हैं। इसका उदाहरण नागौर जिले के सावंतगढ़ की लोक देवी मांगी बाई की जीवनी से मिलता है। यहां देवी मांगी बाई का भव्य व विशाल मंदिर स्थापित किया गया है। यहां पिछले कई सालों से लोग मांगी बाई की पूजा करते आ रहे है। सावंतगढ़ से लगभग तीन किमी की दूरी पर बना यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। 

लोक देवी के रूप में पूजी जाती है मांगी बाई

इस मंदिर के गर्भ में मांगी बाई की एक आकर्षक मूर्ति स्थापित की गई है। साथ ही इसके दक्षिणी हिस्से में बरामद माय भवन बनाए गए हैं। इस मंदिर में कई भक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। भक्त रामकिशोर ने बताया कि यहां सालों से लोग मांगी बाई को देवी के रूप में पूजते आ रहे है। खासकर किसान बड़ी संख्या में यहां आकर अपनी मनोकामना मांगते हैं।  

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साधारण महिला कैसे बनी लोक देवी?

देवी के बारे में बताया जाता है कि मांगी बाई 35 वर्ष की उम्र में अपने पति के साथ सांवतगढ़ गांव के ढाणी में खेती कर अपने घर की तरफ जा रही थी। इसी दौरान उनके पति की अचानक मृत्यु हो गई। वे अपने पति की मौत को सहन ना कर सकी और उन्हें इस बात का गहरा सदमा लगा था। धिरे-धिरे वे भगवान की भक्ति में लीन हो गई। इसके बाद लोगों ने मांगी बाई का एक भव्य मंदिर स्थापित किया और आज भी गांव के लोग द्वारा उनकी पूजा अर्चना की जा रही हैं।  

चर्म रोग होते हैं ठीक 

भक्ति रामकिशोर ने जानकारी दी कि होली के तीसरे दिन यहां हर साल भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, इसमें दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। इस मेले में मस्से व चर्म रोग की बीमारी वाले मरीज पहुंचते है और मान्यता हैं कि मंदिर में लगातार सात दिनों तक माता की पूजा करने और मन्नत मांगने से सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

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