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Jhalawar School Collapse: राजस्थान के पीपलोदी गांव में एक व्यक्ति ने ऐसा कदम उठाया है जो एक मिसाल के रूप में उभर कर आया। दरअसल कुछ वक्त पहले सरकारी स्कूल की इमारत ढह गई थी। इस व्यक्ति ने शिक्षा ना रुके उसके लिए अपना घर दान में दे दिया।

Jhalawar School Collapse: निस्वार्थता और मानवता की एक मार्मिक कहानी में राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव के गरीब और अनपढ़ निवासी मोर सिंह ने एक अनोखी मिसाल को कायम किया है। दरअसल हाल ही में गांव की सरकारी स्कूल की इमारत ढह गई थी। यह हादसा दिल दहला देने वाला था। इस हादसे के बाद बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई। इस पर एक बड़ा कदम उठाते हुए गांव के व्यक्ति मोर सिंह में अपना एकमात्र पक्का घर दान में दे दिया, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर ना पड़े। 

मोर सिंह ने कायम की एक अनोखी मिसाल 

स्कूल की इमारत ढहने के बाद शिक्षकों और छात्रों के पास कक्षाओं को चलाने के लिए कोई भी सुरक्षित जगह नहीं थी। इस संकट का निवारण मोर सिंह ने बिना किसी हिचकिचाहट के किया। उन्होंने अपना छोटा सा घर स्कूल चलाने के लिए दान में दे दिया और अपने निजी आश्रय को शिक्षा के केंद्र में बदल दिया। अपने और अपने 10 सदस्यों के परिवार को लेकर उन्होंने एक अस्थाई झोपड़ी बना ली। अब कठिनाइयों को सहते हुए वे उस अस्थाई झोपड़ी में रह रहे हैं ताकि बच्चों को सीखने का कीमती समय ना गवाना पड़े।

शिक्षा के प्रति प्रेम 

दरअसल मोर सिंह को स्कूल जाने का कभी अवसर नहीं मिला। वह कहते हैं कि मैं कभी पढ़ाई नहीं कर पाया लेकिन इन बच्चों की शिक्षा नहीं रुकनी चाहिए। उनके द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल संपत्ति का दान है बल्कि अगली पीढ़ी के लिए आशा और उज्जवल भविष्य का भी एक उपहार है।

एक ऐसी कहानी जो प्रेरणा देती है 

मोर सिंह का बलिदान गांव के भीतर और बाहर सराहनीय है। स्थानीय लोगों, अधिकारियों और सोशल मीडिया पर उन्हें मानवता और करुणा के प्रतीक के रूप में काफी ज्यादा सराहा जा रहा है। आज किस समय में जहां व्यक्तिगत जरूरत है सामुदायिक कल्याण पर अक्सर भारी पड़ती है मोर सिंह का यह निर्णय हम याद दिलाता है कि असली धन वह है जो हम देते हैं ना कि वह जो हम रखते हैं।

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