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LLB Course Carrier: जयपुर में लॉ ग्रेजुएट्स को जल्द ही अपने न्यायिक कौशल को निकालने का मौका मिलने वाला है। आइए जानते हैं कैसे होगा यह संभव।

LLB Course Carrier: जयपुर में विधि स्नातकों को जल्द ही अपने न्यायिक कौशल को निखारने और अपनी पसंदीदा ब्रांच में करियर को बनाने का एक शानदार मौका मिलने वाला है। दरअसल देश में पहली बार, जयपुर में इसी महीने एक विशेष पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है। इस पाठ्यक्रम का नाम है 'एक्सीलेंस ऑफ एडवोकेसी'। इसका उद्देश्य सेवानिवृत न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में व्यावहारिक प्रशिक्षण को प्रदान करना है। इसके बाद छात्रों को अदालत में मुकदमे लड़ते समय झिझक या फिर अनुभव की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा। 

क्यों है यह महत्वपूर्ण 

आपको बता दें कि डेढ़ से 2 साल के पाठ्यक्रम को लीड पूर्व जिला न्यायाधीश एस के केसोट और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पीएस तोमर करेंगे। यह व्यक्तिगत रूप से युवा अधिवक्ताओं का मार्ग दर्शन भी करेंगे। इसी के साथ इस पाठ्यक्रम में वकालत से संबंधित 307 व्यावहारिक कार्यों की एक विस्तृत सूची शामिल होगी। 

राजस्थली संस्थान के निदेशक के मुताबिक फिलहाल कई छात्र एलएलबी और आईआईएम की डिग्री हासिल करने के लिए लाखों रुपए खर्च करते हैं लेकिन उसके बावजूद भी व्यावहारिक अनुभव की कमी की वजह से खुद को सफल अधिवक्ता के रूप में स्थापित नहीं कर पाते। कई विधि स्नातक वास्तविक कानूनी कार्यों का अनुभव न होने की वजह से अभ्यास के बाद इस पेज को छोड़ देते हैं। 

अब इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य है इस पूरी प्रक्रिया में बदलाव लाना है। बाकी चित्रों के व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की तरह ही संरक्षित व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करके लॉ ग्रेजुएट अपनी चुनी हुई विधि शाखा के बारे में आत्मविश्वास और स्पष्टता के साथ गलत में प्रवेश कर पाएंगे। 

विषय और प्रशिक्षण मॉड्यूल 

आपराधिक कानून, नागरिक कानून, कराधान और जीएसटी, बौद्धिक संपदा अधिकार (इसमें ट्रेडमार्क, पेटेंट और कॉपीराइट शामिल है), साइबर कानून, फॉरेंसिक, राजस्व विभाग के मामले, विशेष न्यायालय शामिल होंगे। इसी के साथ इसमें कार्यशालाएं और व्यावहारिक प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी शामिल होंगे। 

विधि स्नातकों के लिए करियर के नए अवसर 

अब छात्र स्पष्टता के साथ अपनी विशेषज्ञता शाखा चुन पाएंगे। इसी के साथ बिना किसी हिचकिचाहट के कॉर्पोरेट कानूनी क्षेत्र में भी प्रवेश कर पाएंगे। इतना ही नहीं बल्कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मार्गदर्शन पर निर्भर हुए बिना स्वतंत्र रूप से मुकदमे भी लड़ पाएंगे।

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