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Tips For Farmers: राजस्थान के जयपुर के एक किसान ने कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में मुनाफा कमाने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। आइए जानते हैं पूरी जानकारी।

Tips For Farmers: कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में एक बड़ा नवाचार हुआ है। जयपुर जिले के जालसू के मुंडिया गांव के प्रगतिशील किसान बाबूलाल यादव ने खेती और डेयरी दोनों से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। आइए जानते हैं क्या है उनका यह अनोखा तरीका।

स्वस्थ फसलों के लिए प्राकृतिक कीटनाशक 

आपको बता दें कि अपने दो भाइयों के साथ खेती करने वाले बाबूलाल यादव अपनी जमीन पर तरबूज,खरबूजा और अलग-अलग तरह की सब्जियां उगाते हैं। लेकिन उन्हें तरबूज की फसलों में पत्तियों में छेद, फूल आने के दौरान मक्खियां, झुलसा रोग और जड़ सड़न जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इससे निपटारा पाने के लिए उन्होंने नीम के पत्तों, आकड़े के पत्तों और गुड़ से एक प्राकृतिक कीटनाशक तैयार किया। इसका छिड़काव वे अपनी फसलों पर करते हैं। यह कीटनाशक बीमारियों से तो बचाती ही है साथ ही रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता को भी काम करती है। 

साल भर हरे चारे के लिए साइलेज विधि 

एक वक्त पहले तक हर 6 महीने में बाजार से तीन चार लाख का सूखा चारा खरीदना पड़ता था। इतना ही नहीं बल्कि सूखा बाजरा पाउडर खिलाने से पशुओं में दूध उत्पादन भी कम हो गया था। इस मुसीबत से निपटने के लिए बाबूलाल ने 2 साल पहले साइलेज विधि को अपना लिया। इस विधि से वह पूरे साल पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कर पाते हैं। 

आपको बता दें कि 60% नमी वाली मक्का, सरसों या फिर बाजरे की फसलों को काटकर और उन्हें तिरपाल से ढके 6 फीट गहरे गड्ढे में जमा करके इसे  तैयार किया जाता है। 60 दिनों के बाद चारा फर्मेंट हो जाता है और लैक्टोज से भरपूर हो जाता है। इसके बाद यह पशुओं के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद हो जाता है। अगर आसान शब्दों में कहें तो यह विधि पशुओं के लिए अचार बनाने जैसी ही है।

डेयरी विस्तार और मूल्यवर्धित उत्पादन 

पोषण में सिर्फ सुधार ही नहीं बढ़ा बल्कि पशुओं का उत्पादन भी बढ़ा है। इसके बाद बाबूलाल और उनके भाइयों ने अपनी डेयरी व्यवस्था का भी विस्तार किया है। उनके द्वारा एक प्रसंस्करण इकाई को स्थापित किया गया और छाछ और गाय का घी बेचना भी शुरू हुआ। इतना ही नहीं बल्कि इसके बाद यह आय का स्रोत बना और उनका डेयरी फार्म एक लाभदायक उद्यम बन गया।

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