Alwar Wedding Tradition: राजस्थान राजपूत समाज की संस्कृति और शाही अंदाज के लिए जाना जाता है, इस समाज की महिलाएं पारंपरिक तरीके से मर्यादित रूप में राजपूती पोशाक पहनते हुए आ रही हैं। ऐसे परिधान केवल राजस्थान में ही पहने जाते हैं, जो यहां की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राजस्थान को राजपूतों के इतिहास के लिए जाना जाता है, जिसमें क्षत्राणियों ने अपने स्वाभिमान के लिए इतिहास के पन्नों में अपना अस्तित्व छोड़ दिया। यहां की परंपराएं, रीति-रिवाज और रस्म राजस्थान की शान हैं।
बिना आवाज थालियां उठाने की परंपरा
राजस्थान के अलवर जिले के जोधपुरा गांव में शेखावत समुदाय द्वारा शादी के अवसर पर एक परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा के आधार पर जब दुल्हन शादी करके पहली बार अपने ससुराल आती है, तब गृह प्रवेश कलश को ठोकर लगाकर सिंदूर की थाल में पैर डालकर घर के अंदर प्रवेश करवाया जाता है। उसके बाद चौखट से लेकर पूजा घर तक तांबे की थालियों को रखा जाता है, फिर इन थालियों को दुल्हन के द्वारा बिना आवाज किए उठाना पड़ता है।
दूल्हा थालियों को करता है तलवार से पीछे
इस रस्म में दुल्हन का साथ दूल्हा देता है, जिसमें जब दूल्हा अपनी तलवार से पीछे करता है। उसके बाद ही दुल्हन द्वारा उस थाली को आराम से बिना आवाज किए उठाया जाता है। इन थालियों को आस-पास के सभी घरों में लाया जाता है, जिनकी संख्या 11 होती है। इन थालियों को खाली नहीं रखा जाता है, बल्कि उनमें एक-दो रुपए के सिक्के रखे जाते हैं।
इस परंपरा की मान्यता
राजस्थान में इस परंपरा को निभाए जाने को लेकर राजपूत समाज की मान्यता है कि इस परंपरा में जब दुल्हन थाली उठाती है, उसकी आवाज नहीं चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आवाज नहीं आने को शेखावत समाज में शुभ माना जाता है और इसका संकेत यह होता है कि दुल्हन परिवार को जोड़कर रखेगी। इस परंपरा का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता क्योंकि इस परंपरा के रीति-रिवाजों को एक मनोरंजन के रुप में निभाया जाता है।
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