Rajasthan History: शाहपुरा की रियासत राजस्थान की वो पहली रियासत थी जिसने राज्य प्रजामंडल अध्यक्ष गोकल लाल असावा को राज्य दिया था। इतिहास में शाहपुरा की रियासत ने राजस्थान संघ बनाने में अपना अहम योगदान दिया था। देश की आजादी से एक दिन पहले को तत्कालीन राजा सुदर्शन देव द्वारा राज्य सौंपा गया था।
शाहपुरा रियासत का इतिहास
शाहपुरा रियासत का इतिहास लगभग 390 साल पुराना है। इसी भूमि ने देश को भारत सिंह, राजा उमेद सिंह प्रथम, कुंवर अदोत सिंह कंधार आदि राजा दिए हैं, जिन्होंने दक्षिण भारत तक अपनी वीरता का लोहा मनवाया। इतना ही नहीं देश की आजादी में भी शाहपुरा के वीरों केसरी सिंह, जोरावर सिंह व प्रताप सिंह बारहठ ने कभी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके। चौदह दिसंबर 1631 को शाहपुरा राज्य की स्थापना की गई थी।
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आजादी के आंदोलन में दिया महत्वपूर्ण योगदान
शाहपुरा की शान कहे जाने वाले वीरांगना माणीक कंवर ने देश को अंग्रेजों के हाथों से बचाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनके बेटे प्रताप सिंह बारहठ का बलिदान आज भी इतिहास में याद किया जाता है। बेटे के अहम बलिदान के बाद माणीक कंवर को पूरे भारत में जाना जाने लगा, साथ ही उनके नाम के विद्यालय व चौराहे बनने लगे। वहीं शाहपुरा में संग्रहालय और पैनोरमा भी स्थापित की है।
राजस्थान की एकीकरण में अहम योगदान
पूर्व आर्य समाज प्रधान कन्हैया लाल आर्य ने जानकारी दी कि यह देश की पहली रियासत थी जिसमें पहली बार उत्तरदायी शासन की स्थापना की गई। उन्होंने आगे बताया कि शाहपुरा ने राजस्थान को एक करने में अहम योगदान दिया था। महर्षि दयानंद के यहां आने के बाद इलाके में कृषि क्षेत्र को काफी बढ़ावा दिया गया। तत्कालीन राजाओं ने भी नाहर सागर और उम्मेदसागर बांधों को बनवाया था। इतिहासकार कैलाश चंद्र व्यास ने बताया कि एकीकरण के दौरान कुल 19 रियासतें थी, इनकी मदद से ही राजस्थान संघ की स्थापना की गई। शाहपुरा रियासत प्रमुख रियासतों में से एक थी।