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Ramsnehi Community: 200 साल पहले राजस्थान के जोधपुर के संत सुखराम जी महाराज द्वारा हाफिजगंज के गांव रिथोला ताराचंद में रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना की थी। राजस्थान में रामस्नेही संप्रदाय के चार प्रमुख मठ स्थित हैं।

Ramsnehi Community: रामस्नेही संप्रदाय से जुड़े दो प्रमुख धर्मस्थल हाफिजगंज के गांव रिथोला ताराचंद में स्थित हैं। राम कचहरी व रामद्वारा नामक यह स्थल दो भाईयों के पुनर्जन की कहानी से जुड़े हुए हैं। यह दोनों धर्मस्थल समाज के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। यहां हर साल दिसंबर के माह में भक्त कचहरी में परिक्रमा लगाते हैं और रामद्वारा में जाकर राम नाम का जाप करते हैं। माना जाता है कि यहां दर्शन करने से भगवान राम की कृपा सदा बनी रहती है। 

200 साल पहले राजस्थान से आए थे संत 

स्थानीय लोगों ने बताया कि आज से लगभग 200 साल पहले राजस्थान के जोधपुर के बरही चौकी में दो भाई रहते थे। बड़े भाई के निधन के बाद छोटे भाई सुखराम जी महाराज 14 साल तक अपने भाई को पाने के लिए भगवान की तपस्या में लीन हो गए। जिसके बाद उन्हें पता चला कि उनके भाई ने रिथोला ताराचंद नामक गांव में जन्म लिया है। भाई की तलाश में महाराज हाफिजगंज के गांव रिथोला ताराचंद पहुंचे। 

ऐसे हुई रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना 

यहां पहुंचकर ग्रामीणों को सारी बात बताई और उनके कहने पर गांव के सारे बच्चे इकट्ठा हो गए लेकिन इन बच्चों में से कोई भी उनका भाई नहीं था, जिसके बाद उन्हें खेत में से एक लड़का दौड़ता हुआ दिखाई दिया, जैसे ही महाराज ने उसके सिर पर अपना हाथ रखा वह बच्चा भाई-भाई कहकर रोने लगा। इसके बाद महाराज ने 18 साल तक यहां रहकर साधना की और एक पुस्तिका की रचना कर रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना की। आज भी राजस्थान से भक्त राम कचहरी व रामद्वारा जाकर महाराज की समाधि की परिक्रमा लगाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। 

राजस्थान में हैं समाज के प्रमुख चार मठ 

राजस्थान में समाज के चार प्रमुख मठ स्थित हैं। शाहपुरा, बनवाड़ा, सोढ़ा और भीलवाड़ा में यह मठ मौजूद हैं। यहां हर साल हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। ये स्थान भक्तों की आस्था के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं।

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