Religious Place: जसनाथ जी का दूसरा सबसे बड़ा धाम राजस्थान के नागौर के पांचला सिद्धा गांव में स्थित हैं। यह स्थान जसनाथ जी और उनके शिष्यों के लिए प्रसिद्ध हैं, साथ ही इसी स्थान पर पीठाधीश्वर बोयत जी बेनीवाल की जीवित समाधि बनी हुई हैं। आश्रम के महंत योगेश्वर सूरजनाथ जी ने जानकारी दी कि प्यारलदेस सती माता के कहने पर नागौर में बैलों की दौड़ कराई गई थी और कहा गया था कि जहां रस्सी खुल जाएगी वही जसनाथ जी का आश्रम बनाना होगा, जिसके बाद पांचला सिद्धा में बैलों की रस्सी खुली और इसके बाद यहां जसनाथ जी का भव्य धाम का निर्माण किया गया।
जसनाथ जी महाराज का इतिहास
बीकानेर के कतरियासर गांव में विक्रम संवत 1539 में जसनाथ जी महाराज का जन्म हुआ था। 12 साल की उम्र तक ही जसनाथ जी महाराज अपने पिता हमीर ज्याणी जाट व माता रूपादे के घर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई योगिक चमत्कार किए थे। अपने खोए हुए ऊंटों को ढूंढने के लिए जसनाथ जी महाराज खली इलाके में चले गए थे। वहां उनकी मुलाकात गुरु गोरखनाथ से हुई और उन्होंने उनके सानिध्य में दीक्षा ले ली थी। इसके बाद कई सालों तक तपस्या करने के बाद उन्होंने 36 नियम बनाएं व जसनाथी संप्रदाय की शुरुआत की।
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अग्नि में बैठकर पिया था दूध
आसन के महंत योगेश्वर सूरत नाथ जी ने जानकारी दी कि जसनाथ जी ने अग्नि में बैठकर दूध पिया था, यह उनका पहला चमत्कार था। साथ ही सांप और शेर से खेलना, घेंघा रोग से पीड़ित व्यक्ति को ठीक करना आदि। मान्यता है कि यहां परिक्रमा लगाने से आज भी घेंघा रोग ठीक हो जाता है।
मारवाड़ के राजा भी लगाते थे परिक्रमा
आसन के महंत योगेश्वर सूरज नाथ जी ने आगे बताया कि जसनाथ जी महाराज ने अपने योग बल से उदयपुर के राणा जगत सिंह का कष्ट दूर किया था। जिसके बाद राणा ने यहां आश्रम का निर्माण करवाया। साथ ही जोधपुर के महाराजा ने पांचला सिद्धा को जमीन भेंट की। इसके बाद से इस जगह को पांचला गांव से जाना जाने लगा।