Rajasthan: इतिहास से लेकर वर्तमान तक में किसी भी राज्य को उठाकर देखा जाए, तो राजस्थान का इतिहास सबसे अलग और गौरवशाली है। राजस्थान की धरती पर महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, महाराजा सूरजमल और राणा कुंभा जैसे कई राजाओं ने राज किया। एक समय बाद यहां मुगलों और अंग्रेजों ने भी शासन किया। हालांकि अंग्रेजी हुकूमत तक राजस्थान को राजपूताना नाम से कहा जाता था।
15 अगस्त 1947 में देश को मिली आजादी के बाद 7 चरणों में राजपूताना (राजस्थान) का एकीकरण हुआ। इस दौरान कई रियासतों का विलय हुआ और 'राजपूताना' राजस्थान बना। 30 मार्च 1949 का वो दिन था, जब लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आधिकारिक रूप से राजस्थान का उद्घाटन किया। तब से हर साल 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है।
इन जिलों के पुराने नाम
राजस्थान के कुछ जगहों को भू-भागों और भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर नाम दिए गए। ज्यादातर क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुख बोलियों के आधार पर रखे गए थे। मेवाती बोली वाले भू-भागों को मेवात कहा जाने लगा, जिसे वर्तमान में अलवर कहा जाने लगा। वहीं जिन जगहों पर ढूंढाड़ी बोली जाती थी, उन इलाकों को ढ़ूंढ़ाड़ कहा जाने लगा, वर्तमान में इसे जयपुर कहा जाने लगी।
उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली मेवाड़ी के कारण मेवाड़ बना, जिसे उदयपुर के नाम से जाना जाता है। ब्रजभाषा बाहुल्य क्षेत्र को ब्रज कहा जाने लगा, जिसे वर्तमान में भरतपुर कहा जाता है। बागड़ी बोली के कारण बागड़ बना, जो वर्तमान में डूंगरपुर-बांसवाड़ा कहा जाता है। मारवाड़ी बोलने वाले इलाकों को मारवाड़ कहा जाने लगा, जो अभी बीकानेर और जोधपुर कहा जाता है।
इन किताबों में राजस्थान को राजपूताना कहकर किया गया संबोधित
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जॉर्ज थॉमस ने सन् 1800 में राजस्थान को 'राजपूताना' नाम दिया। इसका जिक्र कई किताबों में भी किया गया है। जार्ज थॉमस ने अपनी किताब जर्नी ऑफ राजस्थान फ्रॉम राजपूताना में इस बात का जिक्र किया। कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी किताब में राजस्थान को दी सेन्ट्रल वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया कहा था।
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