Bissau Village Rajasthan: जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहर हमेशा चर्चा में रहते हैं। शहरों ने ही नहीं बल्कि कुछ छोटे गांव ने भी स्वतंत्रता में अपना खास योगदान दिया है। यह गांव भले ही इतने प्रसिद्ध न हो लेकिन इनका बलिदान राष्ट्र के भाग्य को आकार देने में उतना ही महत्वपूर्ण योगदान देता है। आज हम बात करने जा रहे हैं कुछ ऐसे गांव की जो देशभक्ति की भावना से गूंजते हैं।
बारडोली, गुजरात
यह गांव गुजरात में बसा हुआ है। 1928 के एक हिंसक आंदोलन का यह एक मुख्य हिस्सा था। सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में बारडोली सत्याग्रह अंग्रेजों द्वारा लगाए गए भू राजस्व में 22% की वृद्धि के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन था। यह आंदोलन किसानों के नेतृत्व वाले प्रतिरोध के रूप में शुरू हुआ था। इसी आंदोलन की सफलता के बाद पटेल को सरदार की उपाधि मिली थी।
चंपारण, बिहार
भारत की स्वतंत्रता की यात्रा में बिहार के चंपारण में भी खास योगदान दिया। 1917 में इसी गांव से महात्मा गांधी का पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ था। दरअसल स्थानीय किसानों को ब्रिटिश बागान मालिकों द्वारा शोषणकारी परिस्थितियों में नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। चंपारण से शुरू हुए गांधी जी के इस आंदोलन की वजह से हजारों किसानों को राहत पहुंची और साथ ही भारत के प्रतिरोध के नए रूप अहिंसक सविनय अवज्ञा से भी परिचय हुआ।
बिसाऊ, राजस्थान
झुंझुनू जिले में स्थित एक छोटा सा गांव बिसाऊ अपने अंदर स्वतंत्रता संग्राम की एक बहुत बड़ी विरासत को सहेजे हुए है। राजस्थान के इस गांव ने 1857 के विद्रोह में सक्रिय रूप से भाग गया था। इस गांव ने दशकों से आंदोलनकारी और क्रांतिकारियों को जन्म दिया है।
संगरूर, पंजाब
पंजाब का संगरूर गांव बलिदान और क्रांतिकारी जोश की कहानियों का एक शानदार गवाह है। क्रांतिकारी समूह गदर पार्टी को संगरूर जैसे गांव में समर्थन और गति मिली थी। आपको बता दें कि क्षेत्र में भगत सिंह का प्रभाव काफी ज्यादा था । जिस वजह से स्थानीय युवा स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए। पंजाब के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक लाला लाजपत राय की भागीदारी ने संगरूर के क्रांतिकारी इतिहास में और भी ऊंचा दर्जा दे दिया।
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