Thar Jira GI Tag: राजस्थान के जीरे की विशिष्ट सुगंध को अब औपचारिक मान्यता मिलने जा रही है। पश्चिमी राजस्थान के रेतीले मैदान में उगाई जाने वाला यह जीरा वैश्विक ख्याति को प्राप्त करने जा रहा है। भारत सरकार के भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा एक कृषि उत्पादन के लिए जीआई टैग के आवेदन को स्वीकार कर लिया गया है।
जोधपुर और आसपास के किसानों के लिए प्रोत्साहन
आपको बता दें कि जोधपुर और आसपास के किसानों के लिए यह काफी ज्यादा फायदेमंद होने वाला है। जीआई टैग मिलने के बाद यह थार जीरे की ब्रांड पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि नाम के दुरुपयोग को भी रोक मिलेगी और साथ ही स्थानीय किसानों को अपने उत्पाद को एक प्रीमियम प्रमाणित वास्तु के रूप में बाजार में उतारने का मौका मिलेगा।
नाबार्ड की भूमिका
आपको बता दें कि नाबार्ड राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और कृषि विरासत के संरक्षण में एक अहम भूमिका निभाता है। पिछले कई सालों में इसने कई पारंपरिक शिल्प और उत्पादों को जीआई मान्यता दी है। इस वजह से कारीगरों और किसानों को आर्थिक लाभ भी मिले हैं।
थार जीरा उत्पादन में भारी वृद्धि
आपको बता दें कि पिछले 3 सालों में जीरे की खेती काफी ज्यादा बढ़ी है। वर्तमान में जीरे की बुवाई लगभग 12 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गई है। अगर अगले महीने का मौसम सही रहा तो उपज कम से कम 90 लाख पूरी होने की संभावना है।
राजस्थान में जीआई टैग वाले उत्पादों की बढ़ती सूची
अब तक 21 वस्तुओं को जीआई टैग मिल चुका है। इसमें बगरू हैंड ब्लॉक प्रिंट, ब्लू पॉटरी जयपुर, कठपुतली, कोटा डोरिया, मोलेला क्ले वर्क, बीकानेरी भुजिया, मकराना मार्बल, सोजत मेहंदी, फुलकारी और पोकरण पॉटरी को यह टैग मिल चुका है।
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