Rajasthan Death Tradition: राजस्थान में अनोखे रीति-रिवाजों का जमावड़ा है, जहां के कदम-कदम पर समुदायों की अनूठी प्रथाएं हैं। इन परंपराओं को लेकर राजस्थान वासियों का अटूट विश्वास है, जिस कारण ये लोग आज तक इन परंपराओं के रीति-रिवाजों को मानते हैं। यहां की परंपराएं ही नहीं बल्कि पहनावा, खाना, नृत्य, संगीत या फिर वाद्य यंत्र सभी की अपनी अलग और अनोखी विशेषताएं हैं।
क्या है ओख प्रथा?
राजस्थान में मृत्यु को लेकर कई परंपराएं हैं, जिसमें से एक ओख परंपरा भी है। इस परंपरा में किसी घर या परिवार में अगर किसी व्यक्ति की त्योहार पर मृत्यु हो जाती है तो उस घर में जिस त्योहार के दिन मृत्यु हुई है, उस त्योहार को कभी भी नहीं मनाया जाता है। यह प्रथा राजस्थान में लंबे समय से चलती आ रही है, जिसे यहां के लोगों द्वारा भी पूरे रीति-रिवाजों के साथ निभाया जाता है। इस प्रथा के रीति-रिवाजों से घर की बहन-बेटियों को दूर रखा जाता हैं।
क्या है इसकी मान्यता?
इस प्रथा को लेकर लोगों की मान्यता है कि अगर किसी की मृत्यु किसी त्योहार पर होती है, तो वह त्योहार परिवार के सदस्यों द्वारा मृतक को अर्पित कर दिया जाता है। इसके साथ ही हिंदू धर्म में अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जाते हैं, तब जो लोग भी पिंड दान करते हैं। उनको अपनी कोई पसंदीदा चीज को त्यागना पड़ता है, जिसे वह जीवन में कभी कर या खा नहीं सकते। जैसे कि किसी ने इस रिवाज के आधार पर चाय पीना छोड़ दिया, तो वह उसे अपने सम्पूर्ण जीवन तक निभाता है। वह चाय गलती से भी नहीं पी सकता।
ओख प्रथा कैसे होती है समाप्त?
ओख प्रथा के इस त्यौहार को नहीं मनाने का रिवाज समाप्त तब होता है, जब मृतक के घर में किसी ने उसी त्यौहर के दिन जन्म लिया हो या फिर घर में उसी दिन किसी की शादी करवायी जाएं। जिस वजह से ओख प्रथा समाप्त हो जाती है और उस घर में वो त्यौहार मनाएं जाने लग जाता है।
इसके साथ ही इस प्रथा के आधार पर अगर किसी के घर में कोई त्योहार नहीं मनाया जा रहा है तो उस घर में आस-पास के पड़ोसियों द्वारा ही उस घर में मिठाइयां भेजी जाती हैं, जो इस भी यहां की रीति-रिवाजों का हिस्सा हैं।