Rajasthan Festivals: राजस्थान अपने जीवंत परंपराओं और समृद्ध संस्कृति के लिए मशहूर है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं यहां के उन त्योहारों के बारे में जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं। इन त्योहारों का हिस्सा होते ही पर्यटक राजस्थान शाही भूमि से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। तो आईए जानते हैं उन त्योहारों के बारे में।
पुष्कर ऊंट मेला
राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक पुष्कर ऊंट मेला काफी मशहूर है। पुष्कर में आयोजित किया जाता है। इस मेले में 30000 से अधिक ऊंटों को लाया जाता है और सजाने के बाद उनकी परेड कराई जाती है। इसी के साथ सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भी ऊंट को प्रतिभागी बनाया जाता है। साथी यहां पर ऊंट दौड़ भी होती है। यह त्यौहार नवंबर में मनाया जाता है और पुष्कर में आयोजित होता है।
कोलायत मेला
यह मेला कपिल मुनि की श्रद्धा में आयोजित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कोलायत झील में एक ऋषि ने ध्यान लगाया था। यहां पर ऐसी मान्यता है की झील में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। रात के समय में 52 घाट तेल के दीयों से यह झील जगमगाने लगती है। यह मेला बीकानेर में नवंबर में लगता है।
चंद्रभागा मेला
इस मेले का आयोजन झालावाड़ में किया जाता है। भक्तजन चंद्रभागा नदी के किनारे डुबकी लगाकर इस पवित्र त्यौहार को मानते हैं। इस दिन आकर्षक शोभायात्रा निकाली जाती है और साथ ही पशु मेले का भी आयोजन किया जाता है।
बूंदी उत्सव
यह उत्सव राजस्थान के बूंदी में मनाया जाता है। शोभा यात्रा के दौरान लोग पारंपरिक राजस्थानी संगीत और नृत्य करते हुए इस त्यौहार को मानते हैं। इस दिन पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं और शिल्प प्रदर्शनी भी लगे जाते हैं। यह उत्सव नवंबर में मनाया जाता है।
मत्स्य महोत्सव
इस महोत्सव को अलवर में आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव राजस्थान के सबसे विस्तृत सांस्कृतिक उत्सवों में से एक है। इस महोत्सव में लोक प्रदर्शन कला और शिल्प मेले और साथ ही सांस्कृतिक प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं। फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए यह महोत्सव काफी खुशनुमा होगा। इस महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए आपको नवंबर में आना होगा।
कबीर यात्रा
यह यात्रा बीकानेर में निकाली जाती है। इस दिन स्थानीय संगीतकार और गायक एक साथ भावपूर्ण संस्कृति का आदान-प्रदान करते हैं। सूफी कबीर लोकगीतों और संगीत के माध्यम से कलाकार राजस्थान की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक संस्कृति की कहानी सुनाते हैं।