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Rajasthan Tradition: राजस्थान के प्रसिद्ध कृष्ण धाम श्रीनाथ जी मंदिर में दिवाली वाले दिन बड़ी संख्या में आदिवासियों द्वारा मंदिर में प्रसाद लूटा जाता है। मान्यता है कि आदिवासी इस लूटे हुए प्रसाद को अपने घरों की तिजोरी में पूरे साल तक रखते हैं, इससे उनके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है।

Rajasthan Tradition: राजस्थान के मंदिरों में आज भी कई अनोखी परंपराएं निभाई जा रही हैं। इन्हीं रस्मों में से एक है मेवाड़ की अन्नकूट लूट की परंपरा, जिसे दीपावली के दौरान धूमधाम से मनाया जाता है। इस परंपरा के तहत दीपावली के दिन प्रसिद्ध कृष्ण धाम श्रीनाथ जी मंदिर में बड़ी संख्या में आदिवासियों द्वारा मंदिर में प्रसाद लूटा जाता है। साथ ही उदयपुर शहर के प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में भी कई प्रकार की मिठाइयों का प्रसाद तैयार किया जाता है और बाद में इसे भक्तों की ओर से लूटा जाता है। यह परंपरा इस मंदिर में कई सालों से चलती आ रही है। 

अन्नकूट लूट की परंपरा

राजसमंद के नाथद्वारा मंदिर में लगभग 350 साल से अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई जा रही है। क्षेत्र के आदिवासी सैकड़ों की संख्या में यहां आते हैं और प्रसाद के रूप में भगवान को चढ़ाए गए चावल को लूटकर अपनी झोली में डालते हैं। खास बात यह है कि यह परंपरा केवल आदिवासियों के लिए होती है।

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मान्यता है कि आदिवासी इस लूटे हुए प्रसाद को अपने घरों की तिजोरी में पूरे साल तक रखते हैं, इससे उनके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है। अन्नकुट को आदिवासी अपनी झोली, मटकी और अन्य तरीकों से घर ले जाते हैं। देश के अन्य प्रदेशों से भी भक्त मंदिर में प्रसाद लूटने पहुंचते हैं। 

लगाया जाता है चावल का ढेर 

इस दौरान मंदिर में कुल बीस क्विंटल चावल को पका कर मंदिर परिसर में ढेर लगाया जाता है। इसके बाद आदिवासी श्रद्धालुओं में इसे लूटने की भीड़ उमड़ती है। इस परंपरा में गुजरात , महाराष्ट्र व एमपी से लोग यहां प्रसाद लूटने आते हैं। साथ ही नाथद्वारा व आस पास के इलाकों के भक्त भी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। इसी कारण से यहां के होटल और धर्मशालाएं हमेशा भरी रहती हैं। 

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