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Rajasthan Temple: राजस्थान के बाड़मेर जिले का वांकलमाता मंदिर का इतिहास पाकिस्तान के बलूचिस्तान से जुड़ा हुआ है। लगभग दो हजार साल पहले उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना माता पूर्ण करती है और अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करती है।

Rajasthan Temple: राजस्थान के बाड़मेर जिले के चौहटन से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित वीरात्रा की वांकलमाता के मंदिर का सीधा कनेक्शन पाकिस्तान के बलूचिस्तान से है। इस मंदिर का निर्माण लगभग दो हजार साल पहले एमपी के उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने कराया था। इस लेख में हम आपको मंदिर से जुड़े इतिहास के बारे में विस्तार से बताएगें। 

मंदिर से जुड़ा इतिहास 

बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य हिंगलाज माता के दर्शन करने के लिए पाकिस्तान के बलूचिस्तान गए थे। उनकी भक्ति और श्रद्धा को देखकर माता ने उन्हें कोई भी वरदान मांगने को कहा, राजा ने माता को अपने साथ उज्जैन चलने को कहा। माता ने उनके निवेदन को स्वीकार लेकिन एक शर्त रखी की राजा पश्चिम की ओर मुख कर नहीं चलेगें। यदि राजा पश्चिम की तरफ मुख कर लेते है तो माता अपने शक्ति स्वरूपा को वहीं स्थापित कर देगी। 

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वहां से लौटते समय चौहटन की पहाड़ियों पर अंधेरी रात में राजा दिशा भ्रम हो गए और पश्चिम की ओर अपना मुख कर लिया। इसी दौरान आकाश में एक चमचमाती बिजली के साथ आखाशवाणी हुई कि हे राजा तेरा मुख पश्चिम की ओर हो गया है, अब मैं तेरे साथ आगे नहीं चल सकती। इसके बाद राजा ने माता से मांफी और अपने साथ चलने को कहा लेकिन माता अपने वचन पर अडिग रही और इसके बाद वीर विक्रमादित्य को यहीं माता का मंदिर बनवाना पड़ा। 

जात लगाने आते हैं लाखों भक्त 

अपने सुखद दाम्पत्य जीवन की कामना के लिए नव विवाहित जोड़े इस धाम में जात लगाने आते है। साथ ही लोग नवजात शिशुओं की भी जात लगाने यहां दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना माता पूर्ण करती है और अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करती है। चैत्र, भादवा और माघ महीनों की तेरस से पूर्णिमा तक यहां तीन बार मेले का आयोजन भी किया जाता है।

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