Farming Of Cotton: राजस्थान में मानसून शुरू होते ही नागौर के किसानों ने कपास की बुवाई शुरू कर दी है। यह इस क्षेत्र की सबसे ज्यादा मुनाफे वाली फसल है। आपको बता दें की नागौर पूरे राज्य में कपास के उत्पादन में सबसे आगे है। ऐसा इसलिए क्योंकि हजारों किसान यहां इसकी खेती कर रहे हैं और साथ ही यहां पर कपास की मांग भी बहुत ज्यादा है ।
नागौर कपास की खेती के लिए क्यों सबसे बेहतर
दरअसल कपास कपड़ा उद्योग के लिए एक प्रमुख फसल है। रेतीली दोमट मिट्टी में यह फसल सबसे अच्छी तरह से पनपती है। यह गर्म और धूप वाले मौसम में अच्छी तरह से उगती है। यह टेंपरेचर नागौर के सामान्य ग्रीष्म मानसून के मौसम से बिल्कुल मेल खाता है।
बुवाई की तकनीक और सिंचाई
यह फसल आमतौर पर जून और जुलाई के बीच पहली बारिश के तुरंत बाद बोई जाती है। पंक्तियों के बीच 60-90 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखने को कहा जाता है। इसमें पहली सिंचाई बुवाई के 35 दिन बाद होनी चाहिए। ध्यान देने योग्य बात यह है कि फूल आने और रेशे बनने के चरणों के दौरान उचित नमी का स्तर बनाए रखना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
लाभ की संभावना
आपको बता दें कि एक अच्छी तरह से प्रबंधित कपास के खेत में हर हेक्टेयर पर पंद्रह से बीस क्विंटल तक उपज हो सकती है। अगर मौजूदा कीमतों की बात करें तो एक किसान हर हेक्टेयर पर लगभग डेढ़ से 2 लाख रुपए कमा सकता है। यह मूल्य सोयाबीन या मक्का जैसी अन्य खरीफ फसलों की तुलना में काफी ज्यादा है।
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