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Rajasthan Fair: लोक देवता भर्तृहरि बाबा का मंदिर राजस्थान के प्राचीन पवित्र स्थलों में से एक है। यहां सालाना भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु व पर्यटक घूमने आते हैं।

Rajasthan Fair: राजस्थान के अलवर जिले के लोक देवता भर्तृहरि बाबा का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर थानागाजी कस्बे से लगभग नौ किलोमीटर दूर सरिस्का नेशनल पार्क में स्थित है। यह राजस्थान के प्राचीन पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर सम्प्रदाय व योगियों के लिए काफी अहम माना जाता है। 

राजस्थान का सबसे बड़ा मेला 

पारंपरिक राजस्थानी शैली में बने इस मंदिर में सालाना भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है। तीन दिवसीय इस मेले में भारी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। खास बात यह है कि यह राजस्थान के सबसे बड़े मेलों में शामिल है। इस दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु व पर्यटक घूमने आते हैं। भर्तृहरि मंदिर तीनों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिसके कारण यह जगह लोगों के लिए अधिक लोकप्रिय है। मंदिर में स्थित बाबा भर्तृहरि की समाधि के पीछे गंगा बहती रहती है। यह स्थान मन को शांत करने के लिए एक अच्छी जगह मानी जाती है। 

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ऐतिहासिक धाम का इतिहास

जानकारी के लिए बता दें कि महाराजा भर्तृहरि उज्जैन के महाराज गंधर्वसेन के पुत्र थे। गंधर्वसेन के बाद उन्हें उज्जैन का राजपाठ हासिल हुआ। राजा भर्तृहरि धर्म और नीति शास्त्र के ज्ञाता माने जाते थे। पौराणिक कथा के अनुसार उनकी दो पत्नियां था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने पिंगला से अपना तीसरा विवाह किया था। एक बार उनके दरबार में गुरु गोरखनाथ अपने शिष्यों के साथ उज्जैन पहुंचे थे। इस दौरान भर्तृहरि ने उनका भव्य स्वागत किया था।

राजा की अपार सेवा से खुश होकर गुरु गोरखनाथ ने उन्हें अमरफल दिया और कहा कि जो भी इसे खाएगा वह कभी बूढ़ा नहीं होगा, उसे कोई रोग नहीं होगा और वह हमेशा जवान व सुंदर रहेगा। यह फल राजा ने अपनी रानी पिंगला को दिया और इसके बाद राजा को पता चला की पिंगला उन्हें धोखा दिया है। पत्नी के इस धोखे से उनके मन में वैराग्य जाग गया और उन्होंने अपना राजा राज्य अपने भाई विक्रमादित्य को सौंपकर 12 साल तक गुफा में तपस्या के लिए चले गए थे।

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