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Kota Palace: राजस्थान के कोटा में स्थित अबली मीणी का महल शहर के संस्थापक माधोसिंह के पुत्र मुकुंदसिंह की प्रेम कहानी से जुड़ा है। इस महल में दीपक जलाने से पूरे गांव में रोशनी हो जाती है। आज भी इस महल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग कोटा आते हैँ।

Kota Palace: कोटा -झालावाड़ के बीच स्थित सुरम्य जंगल में स्थित अबली मीणी का महल एक प्रेम कहानी का प्रतीक माना जाता है। आज भी इस कहानी के चर्चे हाड़ौती के गांवों के चौपालों पर सुनाई देते हैं। इसका उल्लेख रिपोर्ट ऑफ इंडियन आर्कियोलॉजिकल सर्वे नामक किताब में भी किया गया है। जिसके अनुसार कोटा के संस्थापक माधोसिंह के पुत्र मुकुंदसिंह ने अपनी प्रेमिका अबली मीणी के लिए जंगल के बीचो-बीच भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। 

इस तरह शुरू हुई थी प्रेम कहानी 

जानकारी के मुताबिक मुकुंद सिंह ज्यादातर इस जंगल में शिकार के लिए जाया करते थे। एक बार जब वह जंगल में शिकार के लिए गए तब उनकी नजर एक खूबसूरत महिला पर पड़ी, जिसने अपने सिर पर पानी के दो मटके रखे हुए थे और वह लड़ते हुए दो सांडों को हाथों से अलग कर रही थी। यह दृश्य देखकर राजा मुकुंद न सिर्फ चकित रह गए बल्कि अपना दिल इस महिला को दे बैठे। यह महिला और कोई नहीं बल्कि खैराबाद की अबली मीणा थी।

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इसके बाद राजा ने अपने प्रेम का इजहार किया और उससे शादी करने का प्रस्ताव रखा। अबली ने उनके प्रेम को स्वीकार कर लिया, लेकिन अबली ने शादी से पहले एक शर्त रखी थी, कि जहां वे दोनों पहली बार मिले थे, उस स्थान पर एक शानदार महल होना चाहिए। साथ ही यहां एक दीपक जलाया जाए, जिसकी रोशनी पूरे गांव में दिखाई दे। प्रेमिका की शर्त पूरी करने के लिए राजा ने महल का निर्माण कराया। आज भी इस महल को अबली मीणी के महल के नाम से जाना जाता है। 

महल की खासियत 

इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि इस दो मंजिला महल को एक पहाड़ पर बनाया गया है। इसके नीचे दो चौबारे बने हुए है, जिनके बीच में एक तिबारी है। आज भी इस महल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग कोटा आते हैं। 

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