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Donkey Fair In Rajasthan : पूरे देश के मुकाबले सबसे ज्यादा पशु मेले राजस्थान में लगते हैं। यहां ऊंट और घोड़े के अलावा एक अनोखे जानवर का भी मेला लगता है। वह मेला है गधों का मेला। जयपुर के पास भावगढ़ बंध्या गांव और लूनियावास में इस मेले का आयोजन होता है। वहीं इस मेले का आयोजन युद्ध जीतने की खुशी में 500 साल से किया जा रहा है। इस साल भी यह मेला अक्टूबर माह में आयोजित किया जाएगा।

Donkey Fair In Rajasthan : राजस्थान एक ऐसा शहर जहां अपनी संस्कृति और परंपरा को दिखाने के लिए कई तरह के मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले के माध्यम से लोग राजस्थान की परंपरा और वहां की संस्कृति से रूबरू होते हैं। इस राज्य में अलग-अलग तरह के मेले का आयोजन होता है। जिनमें अलग अलग जानवरों का मेला जैसे ऊंट और घोड़े का मेला प्रसिद्धि के तौर पर जाना जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां गधों का भी मेला लगता है, जिसके बारे में कम ही सुनने को मिलता है। जयपुर के पास भावगढ़ बंध्या और लूनियावास गांव में गधों का मेला हर साल लगता है। पिछले 500 सालों से इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस साल भी यह मेला अक्टूबर माह की शुरुआत में आयोजित किया जाएगा। 

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क्यों मनाया जाता है यह मेला?

हर आयोजन के पीछे कोई ना कोई उद्देश्य होता है या कोई वजह होती है। जिसे सेलिब्रेशन के तौर पर मनाया जाता है। गधों का इस शहर में मेला लगने के पीछे की कहानी यह है कि इस मेले की शुरुआत कछवाहों ने 500 साल पहले की थी। उस वक्त एक युद्ध में कछवाहों ने चंद्र मीणा को हराया था। युद्ध जीतने की खुशी में कछवाहों ने इस मेले की शुरुआत की थी। तब से हर साल इस मेले का आयोजन जयपुर शहर के ग्रामीण क्षेत्र में किया जा रहा है। 

गधा मेले में मनोरंजन के लिए होती है गधों की रेस

मेले में मनोरंजन के उद्देश्य से गधों और घोड़े में रेस कराई जाती है। इसके अलावा गधों को साबुन से नहलाय जाता है, उसे फूलों की माला से सजाया जाता है, उसके शरीर पर बेहतरीन तरीके से डिजाइन की जाती है और प्रोग्राम को रोचक बनाने के लिए अन्य मनोरंजन के क्रियाकलाप भी किए जाते हैं।

अलग-अलग राज्यों से आते हैं लोग गधे बेचने और खरीदने

गधों के इस रोचक मेल को देखने के लिए न सिर्फ राजस्थान के बल्कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश बाकी शहर के लोग भी गधे बेचने आते हैं। इसके अलावा गधे के खरीदार भी अलग-अलग राज्यों से आते हैं। इन खरीददारों में कश्मीर और कन्याकुमारी के लोग भी शामिल होते हैं। यहां बताते चले कि इस मेले में खच्चर और गधे के अलावा और कोई भी जानवर नहीं लाया जाता है।

मेले में आते हैं अलग-अलग ब्रीड के गधे

बता दें की राजस्थान की अनोखे मेले में अलग-अलग ब्रीड के गधे भी ले जाते हैं। इनमें मालाणी और सांचोरी ब्रीड के गधे काफी मजबूत होते हैं। उनकी मजबूती की वजह से उनकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है। वहीं काठियावाड़ी ब्रीड के गधे दिखने में बेहद सुंदर होते हैं। इस मेले में गधों की कीमत सौ से लेकर हजार तक होती है।

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