Bhartrihari Natak: आप सब राजा भर्तृहरि के बारे में जानते ही होंगे, जो संस्कृत के महान कवि थे। इसके साथ ही वे एक कुशल नीतिकार थे, जो बाद में किसी घटना से प्रभावित होकर गोखनाथ के शिष्य बन गए थे। इसके कुछ समय पश्चात ही महान राजा भर्तृहरि अपना राजपाठ छोड़कर भक्ति के मार्ग पर चल पड़े, उन्होंने वैराग्य धारण कर सन्यास ले लिया। और इसी को लेकर अलवर के रंगमंच में राजा भर्तृहरि नाटक को प्रस्तुत किया जाता है।
राजा भर्तृहरि नाटक
राजस्थान का अलवर शहर, जिसे नाथों के शहर के नाम से जाना जाता है। जहां का एक प्रसिद्ध राजा जिसने अपना राज्य शासन छोड़कर वैराग्य धारण कर लिया था, जिनकी जीवनी को लेकर अलवर के रंगमंच में अभी भी राजा भर्तृहरि का नाटक प्रस्तुत किया जाता है। यह नाटक सालों से चलता आ रहा है, जो रात को शुरू होता है और सुबह तक चलता है। जिसमें राजा भर्तृहरि के राज्य शासन से लेकर मुक्ति तक पूरी कहानी को नाटक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
देश का सबसे अनूठा नाटक
अलवर में राजऋषि अबह समाज द्वारा 100 साल पुराने रंगमंच पर महाराजा भर्तृहरि का नाटक किया जाता है, जो पारसी शैली से निर्मित है। पारसी शैली के सबसे पुराने रंगमंच पर इस नाटक की 1000 से ज्यादा बार प्रस्तुति की जा चुकी है। यह देश का सबसे अनूठा राजा भर्तृहरि नाटक है, जो साल में 16 से 18 दिन तक चलता है।
नाटक की खासियत पारसी थिएटर
राजा भर्तृहरि के इस नाटक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस नाटक को 7 घंटे तक प्रस्तुत किया जाता है, एक जैसा नाटक प्रस्तुत करने के बावजूद भी लोगों की भीड़ इसे देखने के लिए प्रतिदिन आती है। इस नाटक को लोगों द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ देखा जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस नाटक की कहानी तो एक ही होती है लेकिन इसका रंगमंच हर दिन एक अलग अनोखी थीम के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
इस नाटक को बिना ऊबे लगातार 7 घंटे तक कई दिनों तक देखा जा सकता है, जो पारसी थिएटर में मंचित किया जाता है। इस पारसी रंगमंच में सिंहासन अपने आप एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है, इसके साथ ही मंच की धरती फटने पर उसमें से कलाकार निकल आते हैं। जो पारसी शैली से निर्मित थिएटर का कमाल है।
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