Gypsy Tribe: राजस्थान भारत के सबसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्यों में से एक है। इसी के साथ यह सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों में से एक जिप्सी जनजातियों का भी घर है। यह जनजाति खानाबदोश लोगों से बनी है। जिनकी उत्पत्ति कई शताब्दियों पहले हुई थी। जिप्सी जनजाति रेगिस्तान और गांवों में कारवां में यात्रा करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं। इनका कोई स्थाई घर नहीं होता। ये आसमान के नीचे और पेड़ों की छाया के नीचे अपना आश्रय बना लेते हैं।
बोपा और कालबेलिया
जिप्सी समूह बोपा और कालबेलिया जनजाति से मिलकर बना है। बोपा अपने मधुर संगीत और गायन के लिए जाना जाता है, जबकि कालबेलिया अपने नृत्य और सपेरों की वजह से प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के इतिहास में इन कलाकारों को काफी सम्मान मिलता था। दरअसल ये कलाकार त्योहारों और शाही कार्यक्रमों में राजाओं के लिए प्रदर्शन करते थे। वहीं जैसे-जैसे शाही संरक्षण खत्म होने लगा, इन समुदायों की आजीविका खत्म होती गई। पहले शाही महलों का एक सम्मान हुआ करता था। अब वह सड़क प्रदर्शन और त्योहारी शो तक ही सीमित रह गया।
कालबेलिया महिलाएं
कालबेलिया महिलाओं के लिए नृत्य उनकी पहचान का एक हिस्सा है। चमकीले लाल, नारंगी और काले रंग के कपड़े पहने यह कालबेलिया महिलाएं रेगिस्तान की रानी के नाम से मशहूर हैं। जहां भी वे नृत्य प्रदर्शन करते हैं वहां का माहौल काफी खूबसूरत बन जाता है।
संगीत और माधुर्य के पुरुष
पुरुष विभिन्न पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ संगीत का माहौल बनाते हैं। ढोलक से लेकर बीन, पुंगी और मोरचंग तक यह पुरुष संगीत समुदाय के प्रदर्शनों की रीड की हड्डी है। आपको बता दें की इन जिप्सी जनजातियों की कलात्मक प्रतिभा को 2010 में यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया।
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