Rajasthan Folk Traditions: राजस्थान, जिसे इसकी संस्कृति, कला और समृद्ध इतिहास के तौर पर जाना जाता है। जिसकी भूमि भारत को सुशोभित करती है। यहां के किले, महल और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है, खासकर यहां के आभूषण और पोशाक।
राजस्थान के पश्चिमी भाग के मारवाड़ क्षेत्र में स्थित जोधपुर राज्य के परिधान की अपनी ही एक महत्ता है। जिसमें पुरुषों के लिए धोती, अंगरखा कुर्ता और पगड़ी शामिल है। वहीं महिलाओं के लिए घाघरा, चोली, ओढ़नी (चुनरी) जैसी पोशाकें शामिल हैं। पुरुषों का सिर पर पगड़ी पहनना और महिलाओं का चुनरी पहनना उनकी परंपराओं को दर्शाता है, जो सदियों से चलती आ रही हैं। जोधपुर में हर दिन करीब 1 लाख से ज्यादा ओढ़नी की बिक्री होती है। व्यापार के इस क्षेत्र में अब महिलाओं के लिए भी रोजगार बढ़ते जा रहे हैं, साथ ही यह व्यवसाय तेजी से आगे बढ़ रहा है।
150 से शुरू होकर 5000 तक रहती है कीमत
ललित जैन, जो कि जोधपुर के एक व्यापारी हैं। उन्होंने ओढ़नी की दुकानों से लेकर उसकी कीमतों के बारे में जानकारी दी। साथ ही बताया कि इस शहर में लगभग 500 दुकानें हैं, जिनमें अलग अलग कीमतों पर ओढ़नी की बिक्री होती है। इसकी कीमत 150 से शुरू होकर 5000 तक जाती है। इसे अनुकूल अलग समय के अनुरूप बनाया जाता है। ओढ़नी को सिल्क, कॉटन और सूती जैसे कपड़ों पर कढ़ाई या प्रिंट करके तैयार किया जाता है। इस पर रंगाई, डाई, और बंधेज (बांधने की प्रक्रिया) होती है। यहां बंधेज का कार्य गृहणियां करती हैं। जिससे उनके लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
संस्कृति के तौर पर अहम
ओढ़नी जिसे चुनरी, दुपट्टा या घूंघट भी कहा जाता है। राजस्थान की महिलाओं के लिए ना सिर्फ परम्परा है बल्कि एक संस्कृति भी है। ओढ़नी कपड़े का एक लंबा-चौड़ा टुकड़ा होता है, जिस पर अद्भुत कलाकृति कर अलग अलग डिजाइन बनाए जाते हैं और जिसे व्यक्तिगत पसंद, रंग समुदाय और जाति वर्ग के आधार पर तैयार किया जाता है। साथ ही भिन्न भिन्न अवसरों पर अलग रंग और डिजाइन की ओढ़नी ओढ़ने का चलन है- जैसे मां बाप बच्चे के जन्म पर पीले रंग की चुनरी अपनी बेटी को उपहार में देते हैं। जिस पर कमल की आकृति का लाल छापा होता है।
दुल्हन की ओढ़नी को कहा जाता है कवरजोड
दुल्हन की ओढ़नी जिसे कवरजोड के नाम से भी जाना जाता है। यह कवरजोड शादी के मौके पर मामा अपनी भांजी के लिए लेकर आता है। वहीं दूल्हे की पगड़ी को साफा के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान की महिलाएं ओढ़नी को अपना गौरव मानती हैं। जिसे सिर और कंधों पर लपेटकर पहना जाता है।
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