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Rajasthan Development: राजस्थान में मुकेश अंबानी द्वारा जैव ऊर्जा क्षेत्र में कदम रखा जा रहा है। आइए जानते हैं क्या होगा इससे राज्य को फायदा।

Rajasthan Development: राजस्थान अब संपीडित जैव गैस उत्पादन का केंद्र बनने जा रहा है। दरअसल कृषि अपशिष्ट और नेपियर घास का उपयोग अब स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाएगा। इसी के साथ उद्योगपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व द्वारा रिलायंस समूह भी राज्य के जैव ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रवेश करने जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान सरकार को सीबीजी परियोजना के तहत 74 हजार करोड़ के प्रस्ताव पहले से ही मिल चुके हैं। इन 74 हजार करोड़ में से अकेले रिलायंस ने ही 58 हजार करोड़ के निवेश दिए हैं। आपको बता दें कि यह परियोजनाएं राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के साथ मिली हुई है ।

भूमि आवंटन और पट्टे की योजना 

संपीड़ित जैव गैस के उत्पादन के लिए रिलायंस कलेक्शन नेपियर घास का उपयोग करना है। आपको बता दें इसकी खेती के लिए प्राप्त भूमि और पानी दोनों की जरूरत होती है। सरकार द्वारा इस बात पर विचार किया जा रहा है की जमीन को स्थाई रूप से आवंटित किया जाए या फिर कंपनी को किराए पर दिया जाए। फिलहाल राजस्थान की स्वच्छ ऊर्जा नीति भूमि आवंटन की अनुमति देता है लेकिन जमीन पट्टे पर देने के विशिष्ट नियम अभी तक नहीं बने हैं। 

क्या होंगे लाभ 

सबसे पहले तो नेपियर घास उगाने के लिए कम उपजाऊ भूमि का उपयोग होता है। इसके अलावा स्थानीय समुदायों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि किफायती बायो गैस उत्पादन भी होगा जिससे आयात पर निर्भरता भी काम हो जाएगी। इसी के साथ कृषि अपशिष्ट का कुशल उपयोग किया जाएगा जिससे पर्यावरण संरक्षण में योगदान होगा। 

राजस्थान को क्या मिलेगा लाभ 

इस कदम के बाद राजस्थान को भारत में हरित ऊर्जा के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी मिलेगा और साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। 

सीबीजी संयंत्रों के लिए भूमि की आवश्यकता 

1 टन रोज क्षमता वाले संयंत्र के लिए तीन एकड़ से ऊपर की भूमि की जरूरत होती है। इसमें से दो से ऊपर के एकड़ की भूमि संयंत्र स्थापना के लिए और एक एकड़ की भूमि भंडारण के लिए दी जाती है। फिलहाल राजस्थान में अलग-अलग कंपनियों की 10 परियोजनाएं पंजीकृत हैं।

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