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Bhusawar Darwaza: राजशागी जमाने से बना भुसावार दरवाजा आद जीर्ण शीर्ण हो चुका है। यहां से गुजरने वालों को अपनी जान का खतरा रहता है। आइए जानते हैं पूरी खबर।

Bhusawar Darwaza: कालीन भुसावर दरवाजा जो कि कस्बा वैर की शान रहा है, जो आज अपनी पहचान खोने पर की कगार पर है। यह दरवाजा भुसावर की ओर से कस्बे में आने वालों के लिए प्रवेश द्वार है। यह दरवाजा जीर्ण शीर्ण हो गया है। दरवाजे के नीचे आम रास्ता बना हुआ है। अचानक भुसावर दरवाजे से मलवा और पत्थर गिरने से तीन लोग बाल बाल बच गए हैं। वहीं कस्बे में रहने वाले नरेश सैनी द्वारा बताया गया कि वह और उनके दो और साथी रात को घर की तरफ जा रहे थे। उसी वक्त दरवाजे से अचानक पत्थर और माल्बा नीचे गिरने लगा। गनीमत रही कि मल्बा और पत्थर उनके ऊपर नहीं गिरा वरना उनकी जान को बड़ा खतरा हो सकता था। आपको बता दें कि यह दरवाजा राजशाही जमाने से बना हुआ है। जब राजा प्रताप सिंह ने प्रताप दुर्ग का निर्माण करवाया था,  उसी वक्त कस्बे में आने जाने वालों के लिए पांच दरवाजे बनवाए गए थे। ये गेट थे बयाना गेट, सीता गेट, भरतपुर गेट, कुम्हेर गेट और भुसावर गेट। 

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भुसावर गेट जीर्ण शीर्ण हो चुका है। आए दिन इससे मालवा गिरता रहता है और हादसा होने की संभावना भी रहती है। ऐसे में लोगों का कहना है कि वह काफी लंबे समय से दरवाजे की मरम्मत करवाने की मांग कर रहे हैं । जिसकी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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