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Master Plan Of Sikar: सीकर में मास्टर प्लान के प्रकाशित होते ही राजनीतिक माहौल मैं गर्म गर्मी देखने को मिल रही है। कांग्रेस और भाजपा और प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। आईए जानते हैं पूरी बात।

Master Plan Om nmnf Sikar: शहरी विकास एवं आवास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बुधवार को शिक्षा नगरी सीकर के एक कोचिंग हब में अवैध निर्माण गतिविधियों में वृद्धि की बात स्वीकार की। उन्होंने नगर परिषद सभागार में यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि 80% से अधिक इमारतें सेटबैक उल्लंघन से ग्रस्त हैं। इसी के साथ संकरी गलियों में भी बहु मंजिला संरचनाओं उभर आए हैं। इसी वजह से शहरी नियोजन को लेकर काफी ज्यादा चिंताएं पैदा हो रही हैं। अब खर्रा ने निर्माणों की निगरानी करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण की घोषणा की। उन्होंने आगे कहा कि सीकर मास्टर प्लान जारी करने में देरी के बावजूद प्रशासन से पहले ही एक व्यापक कानूनी समीक्षा की गई थी। 

मास्टर प्लान को निजी हितों के नजरिए से ना देखें 

झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि जनता जानती है इस तरह के लेनदेन में कौन शामिल होता है। उन्होंने कहा कि इस मास्टर प्लान को निजी लाभ के नजरिया से नहीं बल्कि जनहित के नजर से देखा जाना चाहिए। दरअसल सीकर मास्टर प्लान का मसौदा आधिकारिक रूप से जारी कर दिया गया। अब नागरिकों से आपत्तियां दर्ज करने के लिए अनुरोध किया गया है। नागरिकों को 1 महीने का समय दिया गया है। 

डोटासरा ने देरी पर उठे सवाल 

इसी बीच पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जानबूझकर 19 महीने से अधिक समय तक मास्टर प्लान में देरी की गई है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान ही मसौदा तैयार हो गया था। लेकिन आचार संहिता के कारण इसे प्रकाशित नहीं किया गया। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि " यह कानूनी जांच की आड़ में इसकी समीक्षा करते रहे जिससे यूआईटी को कॉलोनी को मंजूरी देने और पट्टे देने की अनुमति मिल गई।"

डोटासरा ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि मंत्रियों के दौरे के बावजूद भी सीकर जिले को कोई नई परियोजना नहीं मिली। इसी के साथ उन्होंने मौजूदा सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाए। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि "दो मंत्री आए और कुछ नहीं देकर गए। हमारे कार्यकाल के दौरान हमने बाईपास दिया। क्या काम शुरू भी हुआ है?"

कुछ जरूरी बातें 

आपको बता दें की शिकार के कोचिंग जोन में 80% से भी अधिक इमारतें सेटबैक की समस्या से जूझ रही हैं। इसी के साथ अवैध निर्माण की निगरानी के लिए ड्रोन सर्वेक्षण भी किया जाएगा।

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