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Government Hospitals: सरकारी अस्पतालों में अब ओपीडी पर्ची हिन्दी में बनेगी, जिससे डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन लिखने के लिए अधिक स्थान मिलेगा।

Government Hospitals: सरकारी अस्पतालों में अब ओपीडी पर्ची हिन्दी में बनाई जाएगी, जिससे मरीजों को अधिक सुविधा मिलेगी, भाषा की बाधा कम होगी, और डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन लिखने के लिए अधिक स्थान उपलब्ध होगा।

- ओपीडी पर्ची अब सिर्फ एक कागज पर निकलेगी, जिससे हर साल 4 करोड़ कागजों की बचत होगी* 

- मरीज की जानकारी एवं भविष्य में उपयोग के लिये आभा आईडी को भी रजिस्ट्रेशन पर्ची पर अंकित किया जाएगा

- सरकारी योजनाओं का मरीजों को आसानी से लाभ पहुंचाने के लिए 'लाभदायी योजना' का जिक्र ओपीडी पर्ची पर होगा*

- मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए जरूरी सुधारों के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं- नरेश कुमार गोयल, अतिरिक्त निदेशक (चिकित्सा शिक्षा)

प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा सुधार जल्द देखने को मिलेगा। मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची में कई महत्वपूर्ण सुधार करने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। हिन्दी भाषी प्रदेशवासियों के लिए ओपीडी रजिस्ट्रेशन की पर्ची अब हिन्दी में बनेगी। हर साल चार करोड़ कागजों की बचत के लिए ओपीडी रजिस्ट्रेशन की पर्ची सिर्फ एक कागज पर ही निकलेगी।

इसके साथ ही मरीज से जुड़ी अनावश्यक जानकारियों को ओपीडी रजिस्ट्रेशन की पर्ची से हटाया जाएगा। इसकी वजह से डॉक्टर को वर्तमान ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची के मुकाबले 250 फीसदी ज्यादा जगह प्रिस्क्रिप्शन लिखने के लिए मिलेगी। ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची को अब लेजर प्रिंटर से प्रिंट किया जाएगा, जिसकी वजह से प्रिंटिंग में आधे से भी कम समय लगेगा। इससे मरीजों को समय के साथ ही लंबी लाइनों से भी छुटकारा मिलेगा। 

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के आईएचएमएस सॉफ्टवेयर में महत्वपूर्ण सुधार करने के संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल ने निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश के अस्पतालों में ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची अभी अंग्रेजी में बनती है। जिसे मरीज से लेकर उनके परिजन तक कई बार समझ नहीं पाते हैं। इसके अलावा पर्ची बनाने में गलती होने पर और समझ में न आने पर मरीजों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है।

मरीजों की इस दिक्कत को दूर करने के लिए और हिंदी भाषा को उचित सम्मान दिलाने के लिए चिकित्सा विभाग ने ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची हिन्दी में बनाने का फैसला किय है, ताकि मरीज और उनके परिजन आसानी से समझ सकें। किसी भी प्रकार की रजिस्ट्रेशन पर्ची में गलती होने पर उसमें सुधार करवा सकें।

दूसरी तरफ प्रदेश में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा विभाग ने कागजों की बचत को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है। अभी कार्बन कॉपी सहित तीन पेज पर ओपीडी पर्ची बनती है। लेकिन अब सिर्फ एक पेज पर ही ओपीडी की पर्ची बनेगी। इससे हर साल चार करोड़ कागज और 4 करोड़ कार्बन कॉपी की बचत होगी। क्योंकि हर साल करीब 4 करोड़ मरीज प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए आते हैं। 

अतिरिक्त निदेशक नरेश कुमार गोयल की तरफ से जारी निर्देशों के मुताबिक रजिस्ट्रेशन पर्ची में 65 से 70 प्रतिशत जगह प्री-प्रिन्टेड एवं जनरेटेड फिल्ड से भर जाती है। ऐसे में चिकित्सक को पर्ची पर सिर्फ 30 से 35 प्रतिशत स्थान ही प्रिस्क्रिप्शन लिखने के लिए मिल पाता है। ऐसे में मरीज से जुड़ी अनावश्यक जानकारी जैसे ओपीडी डेज, जनआधार नंबर, प्रिंटेड ऑन कॉलम को हटाया जाएगा।

इसके अलावा रजिस्ट्रेशन पर्ची में मरीज से संबंधित जानकारी अलग-अलग स्थान की बजाए एक जगह अंकित की जाएगी। इससे चिकित्सक को पर्ची पर कम से कम 80 प्रतिशत खाली जगह प्रस्क्रिप्शन लिखने के लिए मिल सकेगी। ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची अब लेजर प्रिंटर से प्रिंट होगी, जिससे कम समय लगेगा और लिखावट स्पष्ट होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक नरेश कुमार गोयल ने कहा कि मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए जरूरी सुधारों के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। 

सरकार की लाभदायी योजना को ओपीडी पर्ची पर किया जाएगा अंकित

सरकार की तरफ से आरजीएचएस, माँ योजना, पीएम जेएवाय, निरोगी राजस्थान सहित अन्य योजनाएं चलायी जा रही हैं। इनमें से किसी भी योजना के पात्र मरीज के आने पर, उस योजना का जिक्र ओपीडी पर्ची पर किया जाएगा।

यह फैसला मरीजों को योजनाओं का लाभ आसानी से पहुंचाने के लिए किया गया है। इसके अलावा अन्य राज्य के मरीजों के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पीएम जेएवाय की पात्रता जांच करने का टूल उपलब्ध कराया जाएगा। इससे मरीज की योजना में पात्रता जांच कर, पैकेज क्लेम किया जा सके।

रजिस्ट्रेशन पर्ची पर होगा क्यूआर कोड और आभा आईडी

वर्तमान में ओपीडी रजिस्ट्रेशन के समय आभा आईडी जनरेट की जाती है। लेकिन रजिस्ट्रेशन पर्ची पर उसका उल्लेख नहीं होता है। इस वजह से मरीज आभा आईडी का इस्तेमाल भविष्य में नहीं कर पाता है। ऐसे में अतिरिक्त निदेशक नरेश कुमार गोयल ने निर्देश दिए हैं कि मरीज की जानकारी एवं भविष्य में उपयोग के लिये आभा आईडी को भी रजिस्ट्रेशन पर्ची पर अंकित किया जाये। इसके अलावा पर्ची पर क्यूआर कोड भी अंकित किया जाये, जिसमें मरीज व विजिट संबंधी जानकारी हो। इसके अलावा एचआईडी नंबर को 15 अंकों से कम किया जाए।

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