Rajasthan Sagdi Pratha: राजस्थान को अपनी अनोखी और विचित्र संस्कृति के लिए जाना जाता है, जिनमें से कई ऐसी प्रथाएं जिन्होंने राजस्थान को एक सकारात्मक पहचान दी है। वहीं कुछ ऐसी भी प्रथाएं जिसमें प्रथा के नाम पर केवल समाज में लोगों का शोषण ही किया हैं। तो आज एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बताएंगे जिसने कई लोगों ने अपना पूरा जीवन झोंक दिया था।
राजस्थान की एक ऐसी प्रथा जिसके बोझ में कई परिवारों ने अपना जीवन दबा दिया था, जिसमें मानव समाज ने पूरी मानव जाति को शर्मसार कर दिया था। ये प्रथाएं समाज में प्रथा के नाम पर कलंक हैं, जिसमें से राजस्थान सरकार द्वारा कई प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
सागड़ी प्रथा
राजस्थान के इतिहास में एक ऐसी प्रथा मौजूद थी, जिसके बारे में आपने कभी न तो कभी सुना होगा। इस प्रथा का नाम सागड़ी प्रथा है, जिसमें लोगों को बंधुआ मजदूर बनाया जाता था। आपको हम बता दें कि बंधुआ मजदूर उन लोगों को बनाते थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर और दलित वर्ग के होते थे।
उनको आर्थिक रूप से मजबूत लोगों द्वारा खरीदा जाता था और उनके साथ जानवरों की तरह व्यवहार किया जाता था। आपने उड़ान सीरियल तो जरूर देखा होगा, जिसमें इस प्रथा की एक क्रूर सच्चाई को दर्शाया गया है।
प्रथा के खिलाफ पहली आवाज
राजस्थान में इस प्रथा को राजपूत समाज द्वारा किया गया था, जिसपर कई बार प्रतिबंध लगाया गया था। जिसमें इस कुप्रथा को बंधुआ मजदूरी और बैगर प्रथा के नाम से जाना जाता था, इसके खिलाफ सबसे पहले आवाज सवाई रामसिंह द्वारा जयपुर में उठाई गई थी।
सागड़ी निवारण अधिनियम 1961
राजस्थान सरकार द्वारा 1961 में इस प्रथा को लेकर एक अधिनियम को लागू किया गया था, जिसका नाम सागड़ी निवारण अधिनियम था। जिसमें अगर कोई उच्च जाति के व्यक्ति किसी गरीब की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हे बंधुआ मजदूर बनाते हैं, तो उस पर इस अधिनियम के तहत शिकायत आने पर किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं।
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