Jaipur Temple: राजधानी जयपुर में स्थित खोले के हनुमान जी का प्राचीन मंदिर साल 1961 में पंडित राधेलाल चौबे ने बनवाया था। माना जाता है कि उन्होंने अपने जीवन के अंत तक इसी मंदिर में भगवान की पूजा की थी। मंदिर के विकास के लिए पंडित राधेलाल चौबे ने आश्रम सेवा समिति नामक संस्था की शुरुआत की थी।
क्यों कहते हैं खोले के हनुमान जी?
जानकारी के मुताबिक मंदिर में मूर्ति स्थापित करने से पहले यहां लक्ष्मण डूंगरी काफी निर्जन थी। बारिश के दौरान यहां पानी खोले रूप में बहता था। इसी कारण से इसे खोले के हनुमानजी जी कहा जाने लगा। आज के समय में इस मंदिर का स्वरूप काफी बड़ा हो चुका है। हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं। खास बात यह है कि यहां रोजाना भंडारा किया जाता है।
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मंदिर में स्थित हैं कई अन्य मूर्तियां
इस मंदिर के परिसर में हनुमानजी के अलावा अन्य हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां भी बनी हुई हैं। प्रांगण में गणेशजी, ऋषि वाल्मीकि, गायत्री मां, ठाकुरजी व श्री राम समेत छोटे भाई लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी स्थित हैं। मंदिर में हर दिन सुंदरकांड, रामायण के पाठ, हनुमान जी के कीर्तन, जप, जीमन, शिवजी के सहस्त्र घट, यज्ञ व रामधुनी भी होती है।
साथ ही बूंदी के लड्डू, पान का बीड़ा, गेहूं का चूरमा, रोट, गुड़-चने, तुलसी माला, दाने और बर्फी का खास भोग लगाया जाता है। भगवान को पहनाई जाने वाली पोशाक को मंदिर के लोगों द्वारा बनाया जाता है। भक्त यहां हनुमान जी सिंदूर, चमेली, देसी घी, चांदी के वर्क, प्रसाद, फूल-माला चढ़ाते हैं।
कैसे स्थापित की गई थी भगवान की मूर्ति?
बताया जाता है कि लक्ष्मण डूंगरी पर स्थित इस प्राचीन मंदिर का इतिहास 70 साल पुराना है। 60 के दशक में एक साहसी ब्राह्मण ने पूर्वी पहाड़ियों की खोह में बहते बरसाती नाले व पहाड़ों के बीच बैठकर उन्होंने हनुमान जी की विशाल मूर्ति की खोज की थी। जिसके बाद उन्होंने इसी स्थान पर मारूती नंदन श्री हनुमान जी की पूजा करनी शुरू कर दी और अपने जीवन के अंत तक इसी मंदिर में भगवान की पूजा की थी।