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Vande Mataram 150 Years Celebration: 150 साल पूरे होने के बाद राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को राजस्थानी भाषा में लिखा गया है। इसे इकराम राजस्थानी ने लिखा है।

Vande Mataram 150 Years Celebration: वंदे मातरम् गीत ने आजादी की लड़ाई में करोड़ों भारतीयों के दिलों में देशभक्ति की लौ जगाई थी। वहीं अब ये गीत राजस्थानी भाषा में भी गूंजेगा। जयपुर के साहित्यकार इकराम राजस्थानी ने इसका राजस्थानी भाषा में अनुवाद कर इतिहास रच दिया है। 7 नवंबर 2025 को यानी 150 साल बाद ‘वंदे मातरम्’ का यह पहला राजस्थानी संस्करण जारी किया गया।

1882 में बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया था

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मूल गीत 1882 में बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया था। वहीं  रविंद्रनाथ टैगोन ने इस गीत को 1896 में पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था। इस गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन में नई ऊर्जा और जोश भरने का काम किया था। अब इसका राजस्थानी अनुवाद नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा में देशभक्ति का संदेश देगा।

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केवल भाषा का अनुवाद नहीं बल्कि भावनाओं का पुनर्जन्म

ऐसे में इकराम राजस्थानी का कहना है कि यह उनके  लिए गर्व की बात है कि वे राष्ट्रगीत को अपनी मातृभाषा राजस्थानी में प्रस्तुत कर सके। यह केवल भाषा का अनुवाद नहीं बल्कि भावनाओं का पुनर्जन्म है।

राजस्थानी भाषा में वंदे मातरम्

है मायण् निवण करां म्हें, ओ जामण् करां म्हें।
तू जलम भौम ह म्हांकी, मां सागण निवण करां म्हें।।
तू मीठा जल्लरौ झरणों, तू शीतर भाल्ल रौ झौंको।
सारा जगही हरियाली, तू क्यारी फूलां वाली।
सारा सुख देवण वाली, तू वरदानां री थाली।।
है मायण् निवण करां म्हें, ओ जामण् निवण करां म्हें।।
बिरखां री शोभा न्यारी, कलिया केसररी क्यारी।
मिश्री सूं मीठी बोले, काना मं अमृत घोले।
सुख देणी निवण करा म्हें, ओ मायड़ निवण करां म्हें।।

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