Organic State Rajasthan: प्रदेश की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज हो गई है। राजस्थान को ऑर्गेनिक राज्य का मॉडल बनाने के लिए गोपालकों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला और गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के सुझाव दिए हैं। गोबर और गो मूत्र के उपयोग संबंधित आंकड़ों के साथ अखिल भारतीय गोशाला सहयोग परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता और अखिल भारतीय जैविक महिला किसान उत्पादक संघ की संरक्षक मोनिका की एक अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े से भेंट की।
39 सूत्रीय मांग पत्र पेश
प्रतिनिधिमंडल ने वैज्ञानिक आंकड़ों के माध्यम से बताया कि गोशालाओं की स्वावलंबी बनाने और गौ आधारित प्राकृतिक खेती से ही प्रदेश का विकास हो सकेगा। गुप्ता ने बताया कि राजस्थान की 150 गोशालाओं के साथ 39 सूत्रीय मांग पत्र तैयार कर सरकार को भेजा गया है। राज्यपाल बागड़े ने ज्ञापन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदने की माँग
राजस्थान की 3500 गोशालाओं और 13 लाख गो-वंश से प्रतिवर्ष 474.5 करोड़ किलोग्राम गोबर उत्पादन होता है। यदि 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदने पर गोशालाओं को 9 अरब 49 करोड़ रुपए की वार्षिक आय होगी। वहीं, जैविक खाद को 10 रुपए किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाए तो 4,745 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा।
4.5 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार
गोवंश से जुड़े रोजगार सृजन में 1.5 लाख प्रत्यक्ष और 3 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। विशेष रूप से यह योजना ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध होगी। 1 टन गोबर से 40-50 क्यूबिक मीटर बायोगैस निकलती है, जो 20-25 परिवारों की ऊर्जा की आवश्यकता पूरी कर सकती है।
भारत के नेट-जीरो 2070 लक्ष्य में मिलेगा योगदान
भारत के नेट-जीरो 2070 लक्ष्य में योगदान मिथेन नियंत्रण और कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन के माध्यम से मदद मिलेगी। वहीं, बायोगैस उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्र जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी 40 फीसदी तक कम हो सकती है।