What To Do In Jodhpur: जोधपुर आज भी अपनी सदियों पुरानी परंपराओं और ऐतिहासिकता को अपने अंदर समेटे हुए है। यह राजस्थान के थार रेगिस्तान का एक प्रवेश द्वार है एक जीवंत संग्रहालय बन चुका है। जो लोग राजस्थान की ऐतिहासिकता के बारे में जानना चाहते हैं वें एक बार जोधपुर अवश्य आए। आईए जानते हैं भीड़ भाड़ से परे कैसे ले जोधपुर में यात्रा का आनंद।
सबसे पहले कीजिए शॉपिंग
अगर आप राजस्थान के रंग में रंगना चाहते हैं तो सबसे पहले जोधपुर के प्रतिष्ठित जोधपुरी जैकेट और ब्रीच जरूर खरीदें। यहां पर आप 24 घंटे के भीतर अपना कस्टम मेड सेट सिल्वा सकते हैं। जोधपुरी जैकेट, शेरवानी के जैसे ही होती है जो अपने ऊंचे कॉलर और स्ट्रक्चर्ड फिट की वजह से जानी जाती है। ब्रीच के साथ मिलकर यह जैकेट एक शानदार ड्रेस बन जाती है।
आपको बता दें कि महाराज सरदार सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान इन जैकेट को लोकप्रिय बनाया। इसी के साथ ब्रीच इंग्लैंड में सर प्रताप सिंह की वजह से मशहूर हुई।
बिश्नोई गांव की करें यात्रा
जोधपुर से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिश्नोई गांव काफी शांत और प्रकृति से घिरा हुआ है। इस गांव की स्थापना 15वीं शताब्दी में गुरु जम्भेश्वर द्वारा की गई थी। इस गांव की खास बात है कि यहां सभी शाकाहारी है और वन्यजीवों की रक्षा करते हैं। बिश्नोई महिलाओं द्वारा अनाथ हिरनों को स्तनपान कराने की कहानी आप सभी ने सुनी ही होंगी। इस गांव में वन्य जीवों से काफी प्रेम किया जाता है । आप जब यहां पर आएंगे तो आपको पारंपरिक मिट्टी की झोपड़ियां देखने को मिलेगीं, साथ ही आप यहां पर अफीम समारोह का आनंद भी ले सकते हैं ।
निकल पढ़िए हेरिटेज वॉक पर
अगर आप जोधपुर शहर को जानना चाहते हैं तो हलचल भरी गलियों के जरिए हेरिटेज वॉक पर निकल पड़े। अपना यह सफर आप सरदार मार्केट से शुरू करें। यहां आपको टाई एंड डाई साड़ियां बेचने वाले विक्रेता, बड़े बर्तनों में खोया घोलते हुए प्राचीन डेयरी की दुकानें और सदियों पुरानी हवेलियां देखने को मिलेंगी।
हवेली हॉपिंग करें
जोधपुर शहर पुरानी हवेलियों से भरा पड़ा है। सबसे पहले आप पाल हवेली देखने जाएं जो अब एक हेरिटेज होटल बन चुकी है। यहां से मेहरानगढ़ किले का नजारा साफ दिखाई देता है। इसके बाद आप सिंघवी हवेली जा सकते हैं जो की 555 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इसके बाद आप अपना सफर पुष्य नक्षत्र हवेली की ओर मोड़ दें।
तूरजी का झालरा
इसका निर्माण 1740 में महाराजा अभय सिंह की रानी द्वारा करवाया गया था। 2014 में इसका दोबारा से निर्माण करवाया गया। यह अपनी कलात्मक सुंदरता और ऐतिहासिक गहराई के लिए मशहूर है। यहां पर लोग कभी-कभी इसकी 200 फुट की गहराई में डुबकी लगाते हैं।
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