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Ramgarh Dam : क्लाउड सीडिंग नकली बारिश का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसमें नकली बरसात के जरिए मौसम को चेंज किया जाता है।

Ramgarh Dam Water Refill Plan : राजस्थान में जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। जयपुर के रामगढ़ बांध को फिर से भरने के प्रयासों के तहत अब यहां कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारी की जा रही है। संभावना है कि अगस्त तक कृत्रिम वर्षा से बांध भरने की प्रक्रिया शुरू हो होगी। इस काम को सफलतापूर्वक करने के लिए कृषि विभाग ने क्लाउड सीडिंग के काम को अमेरिकी कंपनी के सुपुर्द किया है। संबंधित कंपनी के वैज्ञानिकों की टीम आकर क्लाउड सीडिंग के काम को अंजाम देने की तैयारी में जुटी है।

देश में पहली बार क्लाउड सीडिंग के लिए ड्रोन और एआई तकनीक का इस्तेमाल

प्राप्त जानकारी के अनुसार कई हजार फीट ऊपर ड्रोन उड़ाकर बादलों में सोडियम क्लोराइड डाला जाएगा जिसके परिणामस्वरूप बादल पानी के रूप में तब्दील होकर बारिश करेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि देश में पहली बार नकली बारिश करवाने के लिए ड्रोन व एआई तकनीक का प्रयोग होगा। इसके पहले हमारे यहां नकली बारिश करवाने के लिए एरोप्लेन का प्रयोग किया जाता था। इस बार क्लाउड सीडिंग के लिए ताइवान से ड्रोन मंगाए गए हैं।

क्या है क्लाउड सीडिंग

क्लाउड सीडिंग नकली बारिश का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसमें नकली बरसात के जरिए मौसम को चेंज किया जाता है। विमानों को बादलों के के बीच होकर गुजारा जाता है।ड्रोन या विमानों के जरिए बादलों के भीतर सोडियम क्लोराइड, ड्राई आइस और सिल्वर आयोडाइड जैसी रसायन सामग्री छोड़ी जाती है। इससे बादलों में नमी जमा हो जाती है और वे बारिश के रूप में गिरने लगते हैं।

कई दिनों तक होगी बरसात

क्लाउड सीडिंग के लिए भारतीय विभागों व अमेरिकी कंपनी के बीच जून के दूसरे सप्ताह के बीच सार्थक बैठक हुई है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इस प्रयोग के सफल होने पर कई दिनों तक क्लाउड सीडिंग कराके बांध को भर दिया जाएगा।

हवाई जहाज से होती थी क्लाउड सीडिंग

भारत में पहले हवाई जहाज के माध्यम से क्लाउड सीडिंग की जाती थी। सबसे पहले 1951 में टाटा फर्म की ओर से केरल के पश्चिमी घाट पर नकली बारिश करवाई गई थी। इसी तरह पिछले वर्ष हवा में धुंध और प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों में क्लाउड सीडिंग कराई गई थी।

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