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Ayurvedic Treatment For Cancer : जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में यहां हर महीने लगभग 50 नए कैंसर के मरीज आते हैं। इनमें 10 ब्रेस्ट कैंसर के मरीज होते हैं। यहां 2018 में कैंसर के मरीजों के लिए कैंसर कंसल्टेशन यूनिट खोला गया है।

Ayurvedic Treatment For Cancer : जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो उससे ग्रसित व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक तौर पर बहुत कमज़ोर कर देती है। इस बीमारी के तीसरे चरण में आते-आते मरीज की स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि वो पूरी तरह दवाओं पर निर्भर हो जाता है। लेकिन ये भी थी नहीं रहती कि मरीज की जान बचाई जा सकती है।

लेकिन पिछले कुछ वर्षो से कैंसर के मरीजों में आशा की नई किरण जागी है। जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान व देश के अन्य मुख्य आयुर्वेद संस्थानों में कैंसर के मरीज बड़ी संख्या में अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इसका प्रमुख कारण ये है कि इस बीमारी के एलोपैथिक इलाज में मरीज को कीमो थैरेपी व रेडियो थैरेपी जैसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसका शरीर पर अनेक प्रकार से दुष्प्रभाव पड़ता है। पर आयुर्वेद में इनकी जगह उपयुक्त खान पान, पंच कर्म, योग व ध्यान की प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसके कारण मरीजों की सेहत में सकारात्मक सुधार देखने को मिल रहा है। इसलिए अब कैंसर के इलाज के लिए आयुर्वेद को ज्यादा प्रभावकारी माना जा रहा है।

निरंतर बढ़ रही है मरीजों की संख्या

जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में यहां हर महीने लगभग 50 नए कैंसर के मरीज आते हैं। इनमें 10 ब्रेस्ट कैंसर के मरीज होते हैं। यहां 2018 में कैंसर के मरीजों के लिए कैंसर कंसल्टेशन यूनिट खोला गया है जहां गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार को कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है। अभी तक 2000 से ज्यादा मरीज यहां सफलता पूर्वक अपना इलाज करवा चुके हैं।

कीमो थैरेपी पर कम हो रहा है भरोसा

आयुर्वेद के उपचार के जरिए अब कैंसर मरीजों को बहुत राहत मिल रही है क्योंकि उन्हें कीमो और रेडियो थैरेपी के नुकसानदेह साइड इफेक्ट्स से नहीं गुजरना पड़ता। रेडियो थैरेपी व कीमो थैरेपी की प्रक्रिया के बाद ज्यादातर मरीजों को त्वचा संबंधी समस्या, बाल झड़ना, थकावट व जी मिचलाना जैसी तकलीफदेह स्थितियों का सामना करना पड़ता है। एनआइए में इस तरह के मरीजों का अलग तरीके से इलाज किया जाता है जिसके अंतर्गत उन्हें औषधीय पौधे जैसे तुलसी, गिलोय व अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जाता है। योग व ध्यान से तनाव दूर होता है और मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार होता है।

मरीजों को मिल रहा है लाभ

विशेषज्ञों की मानें तो आयुर्वेद में कैंसर का सम्पूर्ण इलाज नहीं है लेकिन यह पारंपरिक चिकित्सा के जरिए मरीजों के शरीर व मन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जैसे पंचकर्म की प्रक्रिया अपनाने से कीमो के बाद होने वाली उल्टी,मतली और कब्ज जैसी तकलीफों से बहुत राहत मिलती है। यही कारण है कि पिछले पांच सालों में आयुर्वेदिक इलाज में तीन गुना से भी ज्यादा वृद्धि हुई है व मरीजों का भरोसा भी इसके प्रति बढ़ा है।

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