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Jalor Melon: जालोर के बांकली क्षेत्र में किसानों ने एक अनोखा खरबूजा उगाया है। जो कम मेहनत में उन्हें दोगुना फायदा दे रहा है। आईए जानते हैं इससे जुड़ी हुई सभी बातें।

Jalor Melon:  जालोर के बांकली क्षेत्र में बीके पानी के आसपास किसान कजली खरबूजा उगा रहे हैं। खास बात यह है कि यहां की जलभराव वाली भूमि उपजाऊ खेतों में इस्तेमाल की जा रही है। काले धब्बों वाला, हल्के हरे रंग का और चीनी की तरह मीठे स्वाद वाला यह अनोखा खरबूजा राजस्थान के साथ गुजरात और महाराष्ट्र तक भेजा जा रहा है। आईए जानते हैं कैसे शुरू हुई इसकी खेती। 

बीके पानी बांध की भूमिका 

दरअसल कई सालों तक बांकली के आसपास की भूमि जल भराव वाली थी। इसी वजह से इसे कृषि मृत क्षेत्र के रूप में देखा जाता था। यहां पर किसान अपने खेतों को यूं ही बेकार छोड़ देते थे। लेकिन जैसे ही बीके पानी बांध का निर्माण हुआ यहां की कहानी एकदम से बदल गई। बांध ने नियंत्रित सिंचाई प्रदान करने के साथ-साथ वहां की भूमियों में नमी के स्तर को भी संतुलित किया। इसके बाद वहां की कृषि गतिविधियों में पुनरुत्थान देखने को मिला और किसानों ने कजली खरबूजे की खेती करनी शुरू कर दी। 

क्यों है कजली खरबूजा इतना खास 

यह खरबूजा खास इसलिए है क्योंकि इसका स्वाद स्वाभाविक रूप से मीठा और स्थानीय इलाके के लिए उपयुक्त है। हाइब्रिड खरबूजा के विपरीत कजली खरबूजे को कम से कम मेहनत के साथ बहुत ही हल्की सिंचाई वाली मिट्टी में पनपाया जाता है ‌। किसान देशी बीजों की सहायता से इस फल को उगाते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि वें वाणिज्यिक किस्म की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होते हैं। 

इन खरबूजों के अलग-अलग रंग और पैटर्न उन्हें आकर्षक बनाते हैं।  यहां पर व्यापारी नियमित रूप से खेतों का दौरा करते हैं और किसान भी उन्हें सीधे उपज बेचते हैं। इससे बिचोलियों का कार्य खत्म हो जाता है और उचित मूल्य सुनिश्चित होती है।

एक किसान की कहानी 

यही के एक किसान किशनलाल भील आंध्र प्रदेश में अपनी नौकरी छोड़कर वापस अपनी जड़ों में लौट आए थे। उन्होंने अपनी नौकरी वाले करियर के बजाय खेती को चुना और उसके बाद कजली खरबूजे की खेती को अपनाया। आज उनकी आए काफी ज्यादा अच्छी है और साथ ही वह अन्य ग्रामीणों के लिए एक पारंपरिक ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत भी है।

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