Madlada Village: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में एक ऐसा गांव है जो सदियों से पर्यावरण को बचाने की जी तोड़ कोशिश कर रहा है। सबसे खास बात यह है कि यह सब बिना किसी अभियान, बैनर या फिर नारे के हो रहा है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मादलदा गांव की। आईए जानते हैं इस गांव की खास बात।
एक ऐसा गांव जहां पेड़ परिवार है
इस गांव की आबादी मात्र 1500 ही है। वैसे तो यह गांव आम गांव जैसा ही लगता है लेकिन इसकी जीवनशैली प्रकृति से काफी जुड़ी हुई है। यहां की खास बात यह है कि यहां के लोग पेड़ों को संसाधन के रूप में नहीं मानते। बल्कि उन्हें आशीर्वाद के जीवित अवतार के रूप में माना जाता है। विशेष रूप से ढोकरा के पेड़ के यहां पर खासी इज्जत की जाती है। इन पेड़ों की घनी छतरियां इतनी मोटी है कि वह दोपहर में भी सूरज की रोशनी को रोक सकती है। इस गांव में पेड़ों को काटा नहीं जाता बल्कि उनके चारों तरफ ही घर बनाए जाते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यदि कोई शाखा दीवार या छत से टकरा भी जाए तो उसे काटा नहीं जाता। बल्कि उसे सजाया जाता है और सम्मान दिया जाता है।
पेड़ काटने से बीमार होते हैं लोग
यहां के लोग पर्यावरण के साथ आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं। ऐसा कहते हैं कि यहां के पेड़ों को भगवान देवनारायण का आशीर्वाद प्राप्त है। भगवान देवनारायण यहां पर सबसे ज्यादा पूजे जाते हैं। ग्रामीणों का ऐसा मानना है कि अगर कोई भी पेड़ को नुकसान पहुंचता है तो उसे दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि ऐसा भी कहा जाता है कि जिस इंसान ने यहां पर पेड़ काटा वह या तो आर्थिक रूप से या फिर शारीरिक रूप से कमजोर और बीमारी से ग्रस्त हुआ। हर मामले में पीड़ित को शांति सिर्फ गांव में स्थित प्राचीन देवनारायण मंदिर में क्षमा मांगने के बाद ही मिली।
यहां पर भगवान देवनारायण का एक मंदिर भी है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां एक पत्ते के गिरने को ईश्वर की स्वीकृति या अस्वीकृति के रूप में माना जाता है। यहां पर सभी बड़े निर्णय जैसे की शादी, संपत्ति का मामला या फिर यात्रा, सभी को इसी पवित्र चिन्ह के मार्गदर्शन के साथ लिया जाता है। इस गांव में पेड़ लगाए नहीं जाते बल्कि कहा जाए तो परिवार में पैदा ही होते हैं। यह गांव पूरी दुनिया को पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनोखे तरीके से प्रेरित करता है। आप जब भी चित्तौड़गढ़ जाएं तो इस गांव को देखना ना भूले।
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