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Anga Recipe: राजस्थान में परंपरागत तरीके से बनाए जाने वाला चूरमा, अंगा से बनाया जाता है। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि विशेषकर पूर्वी राजस्थान में अंगा बड़े ही चाव से खाया भी जाता है। अपने स्वाद के हिसाब से अंगा कई प्रकार का बनाया जाता है। आईए अंगा बनाने की रेसिपी जानते हैं।

Anga Recipe: राजस्थान का फेमस अंगा क्या आपने कभी खाया है? आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध भोजन दाल, बाटी, चूरमा है लेकिन इसका जन्म अंगा से ही हुआ है। एक अंगा का वजन करीब 300 ग्राम से 500 ग्राम तक होता है। वर्तमान में पारंपरिक तरीके से बाटी भी अंगा से बनायी जाती है। इसके अलावा चूरमा को भी अंगा कूटकर ही बनाया जाता है। 

राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में कई प्रकार के अंगा बनाए जाते हैं। जिनको लाल मिर्च की चटनी, दूध, दाल आदि से बड़े स्वाद के साथ खाया जाता है। आइए जानते हैं विभिन्न प्रकार के अंगा बनाने की विधि, जिन्हें आप अपने घर पर भी ट्राई कर सकते हैं। 

प्लेन अंगा

अंगा बनाने के लिए 500 ग्राम आटा लेना है और उसमें स्वादानुसार नमक मिला लेना है। इसके अलावा थोड़ी सी अजवाइन डालकर अच्छे से गूथ लेना है। आटे को गूंथने के बाद दो हिस्सों में बांटकर गोल लड्डू की तरह बनाकर बीच से दबा देना है। इसके बाद 3 उपले लेकर अच्छे से आग को सुलगा लेना है। उपलों की आग लकड़ी और गैस की तरह नहीं होनी चाहिए। उपलों के अच्छे से सुलगने के बाद उसके ऊपर अंगों को सिकने के लिए रख देना है। उपलों की आग से जलें नहीं, इसके लिए बार बार बदलते रहना है। जब ऊपर से अंगा अच्छे से सिकेंगे तब तक उपलों की आग धीमी पड़ चुकी होगी। अंगों के ऊपर से सिकने के बाद अंगों को उपले की गरम राख के अंदर रख देना है। इससे अंगे अच्छे से अंदर से भी सिक जाएंगे। अंगों को बाहर निकालकर कपड़े से अच्छी तरह पोछना है ताकि राख न रह जाए। अंगों में अच्छे से छेद करने के बाद देशी घी भर देना है। लाल मिर्च की चटनी बनाकर उसके साथ आप इसे अपने गेस्ट को सर्व कर सकते हैं। 

राजस्थान में जब शादी समारोह में दाल बाटी चूरमा बनाया जाता है तब अंगों को कई हिस्सों में तोड़कर बाटी बना दी जाती है। इसके अलावा चूरमा बनाने के लिए मिक्सर या अन्य किसी चीज से अंगों को महीन कर दिया जाता है। 

मिर्च-हींग के अंगे

अंगा का आटा लगाते वक्त स्वाद के मुताबिक मिर्च, हींग और नमक मिलाना है। बाकि इसे बनाने की प्रक्रिया बिल्कुल ही प्लेन अंगों की तरह ही रहेगी। बस ध्यान इस बात का रखना है कि उपले की ऊपरी सतह पर जब अंगा हो तो वह जल ना जाए। राजस्थान में अंगों को अक्सर दूध, लाल मिर्च की घी वाली चटनी या दाल के साथ ही खाया जाता है। मिर्च-हींग के अंगे बच्चों को कम अच्छे लगते हैं जबकि बड़े और बुजुर्ग बड़े चाव के साथ खाते हैं। राजस्थान के अधिकांश घरों में नियमित अंतराल पर अगे बनाए जाते हैं। 

आलू के अंगे

राजस्थान में अब नए प्रकार के अंगों का चलन शुरू हुआ है। इसमें पराठों की तरह आलू, मिर्च, लहसुन आदि का पेस्ट तैयार कर लिया जाता है। प्लेन अंगे का आटा लगाने के बाद अंदर आलू भर दिया जाता है। ध्यान रखा जाता है कि अंगों की सिकाई के वक्त कहीं पराठों के तरह आलू बाहर न निकल आए। इन्हें भी दूध, घी, दाल या लाल मिर्च की चटनी के साथ स्वाद लेते हुए खाया जाता है। राजस्थान के प्रसिद्ध टिक्कर और अंगों में अतर सिर्फ इस बात का होता है कि टिक्कर अधिक चौड़ा होता है जबकि अंगा बहुत मोटा होता है। 

 

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