Rajasthan Education Department : शिक्षा विभाग ने एक अप्रैल से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करने की तैयारी तेज कर दी है, मगर इसकी हड़बड़ी ने स्कूलों की पढ़ाई की रफ्तार पर असर डाल दिया है। विभाग ने पर्याप्त तैयारी किए बिना 20 नवंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं आयोजित करने की घोषणा कर दी है। ऐसे में शिक्षकों पर अधूरा सिलेबस पूरा करने का दबाव बढ़ गया है, जबकि विद्यार्थियों को परीक्षा से पहले कोर्स अधूरा रहने की चिंता सताने लगी है।
राजकीय विवेकानंद मॉडल स्कूलों में जहां 1 नवंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होंगी, वहीं सरकारी और निजी स्कूलों में यह परीक्षाएं 20 नवंबर से आरंभ होंगी। फिलहाल विभाग ने पाठ्यक्रम में किसी भी तरह की कटौती को मंजूरी नहीं दी है। 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं पूरे सिलेबस से ली जाएंग। जिससे सीमित दिनों में पढ़ाई पूरी कराना शिक्षकों के लिए मुश्किल चुनौती बन गई है।
जुलाई से अब तक सिर्फ 70 दिन की पढ़ाई
स्कूलों की सबसे बड़ी चिंता यह सता रही है कि जुलाई से लेकर अब तक मुश्किल से 60 70 दिन ही पढ़ाई हो पाया है। कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई थी जिस कारण से अब तक सिलेबस भी पूरा नहीं हो पाया है। इसको लेकर शिक्षकों का राय यह है कि विभाग का यह निर्णय पूरी तरह से अव्यावहारिक है। सिलेबस पूरा ना हो पाने के कारण बोर्ड के परीक्षाओं के रिजल्ट में भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिलेगा।
1 अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत
राजस्थान में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा 12 फरवरी से 11 मार्च तक होगी। जबकि प्रैक्टिकल एग्जाम 15 जनवरी से शुरू हो रही है। विभाग का कहना यह है कि 25 मार्च तक सभी परीक्षाएं समाप्त हो जाए और 31 मार्च तक परिमाण जारी हो जाए, ताकि नए सत्र की शुरुआत 1 अप्रैल से की जा सके।
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