Rajasthan Tourism: राजस्थान के जैसलमेर में सालाना लाखों सैलानी यहां की प्राचीन किलों, महलों और हवेलियों को देखने और इनके इतिहास के बारे में जानने आते हैं। यहां की पटवों की हवेली का इतिहास भी काफी अनोखा है। इस पांच मंजिला राजपुताना हवेली का निर्माण गुमान चंद पटवा द्वारा अपने पांच बेटों के लिए करवाया गया था। इसे एक शाही व खूबसूरत नमूने के रूप में बनवाया गया था। लेकिन अनूठी बात यह है कि इसके बनने के बाद इनमें कोई रह नहीं पाया था।
हवेली से जुड़ा इतिहास
जैसलमेर के कारोबारी गुमान चंद पटवा ने अपने पांचों बेटे के लिए इस हवेली का निर्माण कराया था, लेकिन इसके बनने के बाद उनके बिजनेस में घाटा होने लगा। जिसके बाद एक जैन मंदिर के पुजारी ने उन्हें और उनके बेटों को जैसलमेर छोड़ने की सलाह दी। पुजारी के कहने पर उन्होंने जैसलमेर को छोड़ दिया और उनका बैंकिंग व सोने-चांदी का कारोबार एक बार फिर से चलने लगा।
कोठारी की पटवा हवेली के नाम के पीछे की कहानी
बताया जाता है कि हवेली के निर्माण के बाद बेटों के कारोबार में कमी देखते हुए गुमान चंद पटवा ने हवेली श्री जीवन लाल कोठारी को बेच दी थी, जिसके बाद से ही इस हवेली को कोठारी की पटवा हवेली के नाम से जाना जाने लगा।
म्यूजियम में तब्दील हो गई हवेली
पांच पटवा भाइयों को यह हवेली आज के समय में एक म्यूजियम के रूप में तब्दील हो चुकी है। सालों पुराने इस अनोखे नमूने को देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां आते हैं। यहां आपको राजस्थानी चीजों का बाजार भी दिख जाएगा, जहां रोजाना भारी भीड़ खरीदी के लिए आती है। इसे जैसलमेर का ताजमहल भी कहा जाता है।
यहां आने का सही समय
यदि आप जैसलमेर घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो एक बार इस हवेली को देखने जरूर जाएं। यहां आप सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक घूम सकते हैं। साथ ही यहां एंट्री के लिए आपको बीस रूपए प्रति व्यक्ति देना होता। वहीं यदि आप कैमरा लेने जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा।