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Magical Fruit Amla: आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं राजस्थान के जादुई फल के बारे में। साथ ही हम आपको बताएंगे की क्या है इस फल का एक पौराणिक कथा के साथ संबंध।

Magical Fruit Amla: राजस्थान की सुनहरी रेत में जिसे हम आंवला कहते हैं जादुई फल के नाम से मशहूर है। यह छोटा सा हरा फल न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर है बल्कि राजस्थान में इसका गहरा सांस्कृतिक स्थान भी है। आइए जानते हैं इसके फायदे और राजस्थान में इसकी पौराणिक कथा के बारे में। 

आंवल्या राजा की कहानी 

यह कहानी राजस्थान में काफी लोकप्रिय है। इस कहानी को पारंपरिक रूप से शुक्ल पक्ष के नौवे दिन आमलकी नवमी पर सुनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है की एक बार एक राजा और रानी ने लोगों को रोज 1.25 आंवला वितरित किए बिना कभी भी भोजन नहीं करने की ठानी। राजा और रानी यह बात जानते थे कि यह फल स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है।  लेकिन उनके बेटों ने इस उदारता पूर्ण कार्य को व्यर्थ माना। उन्होंने शाही खजाने को बंद कर दिया ताकि यह दान रुक जाए। इस बात से आहत होकर राजा और रानी चुपचाप महल छोड़कर जंगल में रहने लगे। अब क्योंकि वें अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं कर पाए तो इस वजह से वें सात दिन और रात तक भूखे ही रहे। आठवें दिन अचानक आंवले के पेड़ों से भरा एक हरा भरा जंगल बन गया और साथ ही एक शानदार महल भी खड़ा हो गया। 

वक्त गुजरता गया और राजा के बेटे जिन्होंने अपने पिता की प्रतिज्ञा की अपेक्षा की थी उन्हें दैवीय प्रकोप का सामना करना पड़ा।  राज्य में सूखा पड़ने लगा और लोग बीमार हो गए। एक दिन बीते और उनकी पत्नियों अनजाने में आंवला महल के चारों ओर बने नए शहर में भटक रहे थे। तभी अचानक उन्हें उनके माता-पिता दिखाई दिए । उन्होंने उन्हें नहीं पहचाना और अनजाने में अपने ही माता-पिता के नौकर के रूप में काम करने लगे‌ । एक दिन जब इस बात का खुलासा हुआ तो क्षमा और एकता का पालन हुआ और आंवला दान की परंपरा वापस से शुरू की गई। 

आंवला एक दिव्यौषधी 

आयुर्वेदिक चिकित्सा में आंवले को काफी फायदेमंद बताया गया है। यह शरीर में तीन प्राथमिक ऊर्जा वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में सक्षम है। इसके अंदर विटामिन सी होता है। साथ ही यह कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, प्रोटीन और फाइबर से भरा हुआ होता है ‌‌। 

आज के राजस्थान में आंवले का महत्व 

जैसे-जैसे आधुनिकीकरण हो रहा है लोगों ने भले ही खाने की आदतों को बदल लिया हो। लेकिन आंवला आज भी शहरी और ग्रामीण राजस्थान में एक पवित्रता और अच्छी सेहत के लिए अपना एक अलग स्थान रखता है।  कई आयुर्वेदिक कंपनियां ने आंवला आधारित उत्पादों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इसके जूस, पाउडर, कैप्सूल, अचार, मुरब्बा, बालों के लिए तेल और त्वचा की क्रीम, च्यवनप्राश, त्रिफला बाजार में धड़ल्ले से बिकते हैं।

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