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Godawan Bird: राजस्थान की गोडावण पक्षी को राज्य पक्षी के नाम से भी जाना जाता है। गोडावण शर्मीला व शांत पक्षियों में से एक है, जिसे अकेले शांति में रहना पसंद करती है। शिकार व मानव गतिविधियों के बढ़ने से भी इनके घरों पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

Rajasthan Bird: राजस्थान में कई पक्षी ऐसे हैं जो केवल एक खास सीजन में दिखाई देते हैं तो वहीं कुछ पक्षी ऐसे हैं जो धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको राजस्थान के एक ऐसे पक्षी के बारे में बताने जा रहे हैं जो केवल साल में एक ही अंडा देती है। 

इंडियन ग्रेट बस्टर्ड

राजस्थान का यह खास पक्षी है गोडावण जो प्रदेश के शुष्क घास के मैदानों व जैसलमेर जैसे अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में भी दिखाई देता है। दूर-दूर से लोग जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में इसे देखने आते हैं। बता दें कि गोडावण को इंडियन ग्रेट बस्टर्ड के नाम से भी जाना जाता है। साल 1981 में इस पक्षी को राजस्थान की राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया था। 

अकेले दूर रहना पसंद करती है गोडावण 

गोडावण शर्मीला व शांत पक्षियों में से एक है, जिसे अकेले शांति में रहना पसंद करती है। पक्षी छोटे कीड़े, छिपकली, घास व अनाज को खाती है। 1 मीटर लंबा यह पक्षी काफी बड़ा और भारी होता है। भारी वजन होने के बावजूद यह दौड़ने व छलांग लगाने में माहिर होता है। 

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धीमी गति से करते हैं प्रजनन

खास बात यह है कि गोडावण काफी धीमी गति से प्रजनन करते हैं, जिससे साल में एक बार ही अंडा देते हैं। जिसके कारण इनकी आबादी समय के साथ साथ कम होती जा रही है। वहीं अंडा देने के लिए यह अपना घोंसला नहीं बनाती बल्कि जमीन पर ही अपने अंडे देती है। 

'प्रोजेक्ट गोडावण' 

गोडावण की संख्या में लगातार कमी को देखते हुए आईयूएसएन रेड लिस्ट में रखा गया। इनका जीवन काल करीब 20 साल तक का ही होता है। 

इन कारणों से लुप्त होती जा रही है गोडावण 

गोडावण के लुप्त होने का मुख्य कारण आवास ना होना, शिकार करना और मानव गतिविधियों का लगातार बढ़ना है। अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में लगातार कमी होने के कारण यह पक्षी अब समय के साथ साथ लुप्त होता जा रहा है। शिकार व मानव गतिविधियों के बढ़ने से भी इनके घरों पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

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