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JLN Hospital: अजमेर के जेएलएन अस्पताल में टीबी के इलाज के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका नाम है बीपीएएल रेजिमेन। आईए जानते हैं कैसे करती है यह काम।

JLN Hospital:  जेएलएन अस्पताल ने टीबी के उपचार के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब अस्पताल की टीबी यूनिट बीपीएएल चिकित्सा प्रणाली का इस्तेमाल करके रोगियों का उपचार करेगी। यह तकनीक दवा प्रतिरोधी टीबी का अधिक प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए डिजाइन की गई है। 

कम दुष्प्रभावों के साथ 6 महीने तक चलेगा उपचार

केंद्र सरकार ने राजस्थान के 6 मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पतालों को इस पहल के लिए चुना है। इसी में से एक अजमेर जेएलएन अस्पताल भी है। टीबी यूनिट के एचओडी डॉ नीरज गुप्ता के मार्गदर्शन में इस नई उपचार प्रणाली की शुरुआत चार रोगियों के चयन के साथ की गई। शुक्रवार को उन्हें सबसे पहले दवा दी गई। इस तकनीक के जरिए उपचार की अवधि जो पहले सामान्य 9 से 18 महीने हुआ करती थी अब केवल 6 महीने रह गई है। 

इसमें नई पीढ़ी की दवाओं का उपयोग करके दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों का उपचार किया जाता है। इस नई प्रणाली की सफलता दर 90% से अधिक होने का अनुमान है। खास बात यह है की मौजूदा टीबी उपचार प्रोटोकॉल की तुलना में इसके दुष्प्रभाव भी काफी ज्यादा कम हैं। 

क्या है यह बीपीएएल प्रणाली 

इस विशेष रूप से दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों के लिए विकसित किया गया है। इस लघु कोर्स में तीन शक्तिशाली एंटी टीबी दवाओं को मिलाया गया है। यह दवा पहली पंक्ति के उपचार के लिए प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ काफी ज्यादा प्रभावी रूप से काम करती हैं। 

सरकार उठा रही बड़े कदम 

सरकार ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का एक लक्ष्य रखा है और इसी मुहिम में उन्होंने इस नई उपचार रणनीति को अपनाया है। अजमेर का जेएलएन अस्पताल भी इस मिशन में शामिल है।

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