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Kota Burn Care Center : कोटा मेडिकल कॉलेज में अब जलने से जख्मी रोगियों को अत्याधुनिक सुविधाएं दी जा सकेगी, यहां अल्ट्रा एडवांस बर्न केयर सेंटर बनाने के लिए सरकार की ओर से 19 करोड़ रुपए का प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को भेज दिया गया है।

Kota Burn Care Center : आग में जले हुए इंसान की भारत में बहुत मुश्किल से इलाज हो पता है। विदेश में जहां 80 फ़ीसदी तक जले इंसान का इलाज संभव है, तो वहीं भारत में सिर्फ 50 से 60 फीसदी जलने वाले लोगों को भी बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह बात खुद एक्सपर्ट ने कही है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के कोटा में अल्ट्रा एडवांस बर्न केयर सेंटर बनेगा, जहां रोगियों को संक्रमण रहित वातावरण में ट्रीट किया जा सकेगा। 

जले हुए मरीजों के लिए कोटा में अत्याधुनिक इलाज की सुविधा मिलेगी

कोटा मेडिकल कॉलेज में अब जलने से जख्मी रोगियों को अत्याधुनिक सुविधाएं दी जा सकेगी, यहां अल्ट्रा एडवांस बर्न केयर सेंटर बनाने के लिए सरकार की ओर से 19 करोड़ रुपए का प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को भेज दिया गया है। राज्य सरकार जब बजट की घोषणा कर रही थी, तभी यह वादा किया था कि प्रदेश में संभाग स्तर पर अल्ट्रा एडवांस बर्न केयर सेंटर खोले जाएंगे। यह उसी दिशा में एक कदम होने वाला है। 

कोटा बर्न केयर सेंटर में होंगे राज्य स्तर के नोडल अधिकारी

इस प्रोजेक्ट के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर आरके जैन को राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी बनाया गया है। वह संभाग स्तरीय नोडल ऑफीसरों से संपर्क कर आगे की कार्रवाई करवा रहे हैं। कोटा में बन रहे इस सेंटर को एम्स की तर्ज पर बनाया जाएगा। जहां 80 फ़ीसदी झुलसे लोगों को भी बचाने का प्रयास होगा। जिस प्रकार एम्स के अल्ट्रा एडवांस बर्न केयर सेंटर में 24 घंटे इमरजेंसी सुविधा उपलब्ध होती है, उसी प्रकार कोटा के केंद्र में भी 24 घंटे ट्रीटमेंट मिल सकेगा।

बर्न मरीजों को मिलेगी विभिन्न प्रकार की थैरेपी की सुविधा

सिर्फ कोटा में ही नहीं, बल्कि देश में भी जगह-जगह ऐसे केंद्र विकसित किया जा रहे हैं, जिसमें अत्यधिक आईसीयू और मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी बनाया जाएगा। बताया यह भी जा रहा है कि यहां बर्न से जुड़ी कई प्रकार के थेरेपी रोगियों को दिया जाएगा। अगर कोई इंसान जलता है, तो उसमें सबसे अधिक खतरा संक्रमण का फैलता है। इसलिए प्रयास यह रहेगा कि यहां 100 फीसदी शुद्ध हवा आ सके, इसके लिए प्रत्येक आईसीयू में उच्च स्तरीय व्यवस्था होगी। 

28 साल पुराने भवन में सुधार के लिए सरकार ने लिया कदम

बताया जा रहा है कि कोटा के इस यूनिट का निर्माण 28 साल पहले हो गया था, लेकिन इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण पूरे कमरे में जर्जर जैसे स्थिति आ गई है। जगह-जगह सीलन हो गए हैं, छतों से पपड़ी गिर रही है। एक दो बार तो प्लास्टर उखड़ने की भी घटनाएं हो चुकी है, जिससे कि मरीज और स्टाफ मेंबर डरे हुए रहते हैं। हालांकि इंफ्रास्ट्रक्चर को भी ठीक करने का प्रबंध किया जा रहा है।

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